
हम वर्ल्ड ऑफ़ साईं ग्रुप के माध्यम से आप सब से अपील करते है की यदि आप के पास गैर जरूरी (न काम आने वाले हर रोज़ मर्रा का कोई भी जरूरी सामान जो शायद आज आपकी जरूरत का हिस्सा न हो) जैसे वस्त्र (किसी भी तरह के वस्त्र, हर उम्र एवं हर श्रेणी के), खिलौने अथवा बिस्तर (पुराने या नए चादर, तकिया, कम्बल, इत्यादि) अथवा अन्नदान, जरूरतमंद कौड़ियों के आश्रम के लिए दान दे | ग़रीबों को भोजन अवश्य दें क्यों कि बाबा ने स्वयं कहा है कि जो ग़रीबों को भोजन खिलाता है वो वास्तव में मुझे भोजन खिलाता है |
शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें
शिर्डी से सीधा प्रसारण ,...
"श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ...
के सौजन्य से...
सीधे प्रसारण का समय ...
प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ...
सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को
ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन
नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,...
हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है।
...ॐ साँई राम जी...
Wednesday, 20 February 2013
Tuesday, 19 February 2013
Monday, 18 February 2013
Sunday, 17 February 2013
पाँच घरों से मांगी भिक्षा..... साँई नाम कहाये.....
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
पाँच पीर और पाँच प्यारे.....
पाँच दरिया पंजाब में.....
पाँच तत्वों का बना ये पुतला (शरीर).....
पाँच थे पाँडव.....
पाँच परमेश्वर.....
पाँच ही नमाज़ खुदा की.....
पंजा (पाँच )साहब गुरू की नगरी.....
पाँच अमृत.....
पाँच अक्षरी मंतर.....
पाँच आरती.....
पाँच आरती.....
शिव जी आद अनादी.....
पाँच उंगलियों से बनती मुठ्ठी .....
ताकत बेहिसाबी.....
पाँच चीज़ों से बने पंजीरी.....
और पाँच से बनी पंजाबी.....
पाँच घरों से मांगी भिक्षा.....
साँई नाम कहाये.....
सबका मालिक एक है.....
यही सबक सिखलायें.....
विशेष धन्यवाद नीरज अलंकार
विशेष धन्यवाद नीरज अलंकार
Saturday, 16 February 2013
Friday, 15 February 2013
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 09 - राजविद्याराजगुह्ययोग
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 09 - राजविद्याराजगुह्ययोग
ज्ञान वर्णन (अध्याय 9 शलोक 1 से 6)
श्रीभगवानुवाच:
श्रीभगवानुवाच:
इदं तु ते गुह्यतमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे।
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥९- १॥
ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात्॥९- १॥
मैं तुम्हे इस परम रहस्य के बारे में बताता हूँ क्योंकि तुममें इसके प्रति कोई वैर वहीं है। इसे ज्ञान और अनुभव सहित जान लेने पर तुम अशुभ से मुक्ति पा लोगे।
Thursday, 14 February 2013
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 51 - उपसंहार
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
आप सभी को वर्ल्ड ऑफ साईं ग्रुप की ओर साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं , हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है , हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा, किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है...
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 51 - उपसंहार ------------------------------------
अध्याय – 51 पूर्ण हो चुका है और अब अन्तिम अध्याय (मूल ग्रन्थ का 52 वां अध्याय) लिखा जा रहा है और उसी प्रकार सूची लिखने का वचन दिया है, जिस प्रकार की अन्य मराठी धार्मिक काव्यग्रन्थों में विषय की सूची अन्त में लिखी जाती है । अभाग्यवश हेमाडपंत के कागजपत्रों की छानबीन करने पर भी वह सूची प्राप्त न हो सकी । तब बाब के एक योग्य तथा धार्मि भक्त ठाणे के अवकाशप्राप्त मामलतदार श्री. बी. व्ही. देव ने उसे रचकर प्रस्तुत किया । पुस्तक के प्रारम्भ में ही विषयसूची देने तथा प्रत्येक अध्याय में विषय का संकेत शीर्षक स्वरुप लिखना ही आधुनिक प्रथा है, इसलिये यहाँ अनुक्रमाणिका नहीं दी जा रही है । अतः इस अध्याय को उपसंहार समझना ही उपयुक्त होगा । अभाग्यवश हेमा़डपंत उस समय तक जीवित न रहे कि वे अपने लिखे हुए इस अध्याय की प्रति में संशोधन करके उसे छपने योग्य बनाते ।
Wednesday, 13 February 2013
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