ॐ सांई राम
झमाने कि चिंता में, काहे पडा हैं |
तेरे साथ साई, तुझे फिक्र क्या हैं ||
तूझे एक दिन खुद को पहाचानना हैं |
तेरी आत्मा हि परमात्मा हैं ||
जमाने कि .....
किसी और में हैं चलने कि शक्ती |
तू कैसे समझता हैं खुद चळ रहा हैं ||
जमाने कि .....
कहां तक सजाएगा अपने बदन को |
ये हैं बोज इसको यही छोडना हैं ||
जमाने कि .....
गले से लगा गम कि कथिनाइयो को |
तेरे पिछले जन्मो का ये सिलसिला हैं ||
जमाने कि .....
खाता करनेवाले सजा तो मिलेगी |
तुझे तेरे अंदर से वोह देखता हैं ||
जमाने कि .....
वो आगाज हैं और वो अंजाम तेरा |
वो हि इब्तदा हैं , वो हि इंतीहा हैं ||
जमाने कि .....
जमाने कि .....
कहां तक सजाएगा अपने बदन को |
ये हैं बोज इसको यही छोडना हैं ||
जमाने कि .....
गले से लगा गम कि कथिनाइयो को |
तेरे पिछले जन्मो का ये सिलसिला हैं ||
जमाने कि .....
खाता करनेवाले सजा तो मिलेगी |
तुझे तेरे अंदर से वोह देखता हैं ||
जमाने कि .....
वो आगाज हैं और वो अंजाम तेरा |
वो हि इब्तदा हैं , वो हि इंतीहा हैं ||
जमाने कि .....
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