ॐ सांई राम
साईं वाणी (भाग 8)
माता पिता बांधव सुत दारा, धन धन साजन सखा प्यारा ।
अन्त काल दे सके ना सहारा, साईं नाम तेरा पालन हारा ।।
आपन को न मान शरीर, तब तू जाने पर की पीड़ ।
घट में बाबा को पहचान, करन करावन वाला जान ।।
अन्तर्यामी जा को जान, घट से देखो आठों याम ।
सिमरन साईं नाम है सँगी, सखा स्नेही सुहृद शुभ अंगी ।।
युग युग का है साईं सहेला, साईं भक्त नहीं रहे अकेला ।
बाधा बड़ी विषम जब आवे, बैर विरोध विघ्न बढ़ जावे ।।
साईं नाम जाइये सुख दाता, सच्चा साथी जो हितकर त्राता ।
पूँजी साईं नाम की पाइये, पाथेय साथ नाम ले जाइये ।।
साईं जाप कहि ऊँची करनी, बाधा विघ्न बहु दुःख हरनी ।
साईं नाम महा मन्त्र जपना, है सुव्रत नेम तप तपना ।।
बाबा से कर सच्ची प्रीत, यह ही भक्तजनों की रीत ।
तू तो है बाबा का अंग, जैसे सागर बीच तरंग ।।
दीन दुखी के सामने जिसका झुकता शीश ।
जीवन भर मिलता उसे बाबा का आशीष ।।
लेने वाले हाथ दो साईं के सौ द्वार
एक द्वार को पूज ले हो जाएगा पार ।।
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं===
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