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Saturday, 30 March 2013

श्री साईं लीलाएं - प्यार की रोटी से मन तृप्त हुआ


ॐ सांई राम
कल हमने पढ़ा था.. बांद्रा गया भूखा ही रह गया

श्री साईं लीलाएं



प्यार की रोटी से मन तृप्त हुआ
शिरडी में रहते हुए एक बार बाबा साहब की पत्नी श्रीमती तर्खड दोपहर के समय खाना खाने बैठी थीं| उसी समस दरवाजे पर एक भूखा कुत्ता आकर भौंकने लगा| श्रीमती तर्खड ने अपनी थाली में से एक रोटी उठाकर उस कुत्ते को डाल दी| कुत्ता उस रोटी को बड़े प्रेम से खा गया| उसी समय वहां एक कीचड़ से सना हुआ सूअर आया तो उसे भी उन्होंने रोटी दे दी| यह एक सामान्य घटना थी, जिसे वह भूल गयीं|

शाम को जब श्रीमती तर्खड मस्जिद में बाबा के दर्शन करने गईं तो बाबा उनसे बोले - "माँ ! आज तो तुमने मुझे बड़े प्रेम से खाना खिलाया| खाना खाकर मेरा मन तृप्त हो गया| जिंदगीभर ऐसे ही खाना खिलाती रहना| एक दिन तुम्हें इसका उचित फल मिलेगा| मस्जिद में बैठकर मैं कभी असत्य नहीं कहता| पहले तुम भूखों को भोजन खिलाना, फिर खुद खाना| इस बात का सदा ध्यान रखना| श्रीमती तर्खड बाबा की बात का अर्थ नहीं समझ पायी| उन्होंने बाबा से कहा - "हे देवा ! मैं भला आपको कैसे भोजन करा सकती हूं ? मैं तो स्वयं दूसरों के आधीन हूं और पैसे खर्च करके जो मिल जाता है, वही खा लेती हूं| मैंने आपको उसमें से भोजन कराया, मुझे तो ऐसे याद नहीं|"

बाबा बोले - "माँ ! आज दोपहर में तुमने जिस कुत्ते को और सूअर को रोटी दी थी, वह मेरा ही रूप था| इसी तरह जितने भी अन्य प्राणी हैं, वे सब मेरे ही प्रतिरूप हैं| उनके रूप में मैं सर्वत्र व्याप्त हूं| जो सभी जीवों में मुझे देखता है यानी मेरे दर्शन करता है, वह मुझे अतिप्रिय है| तुम इसी तरह समभाव से मेरी सेवा करती रहो|"

साईं बाबा के इन अमृत वचनों को सुनकर श्रीमती तर्खड अत्यन्त भावविह्वल हो गयीं| उनकी आँखों से अश्रुधारा बहने लगी, गला अवरुद्ध हो गया, अपार हर्ष होने लगा| फिर उन्होंने साईं बाबा के चरणों में सिर झुका दिया|



कल चर्चा करेंगे... कतलियां कहां हैं?

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.