हम वर्ल्ड ऑफ़ साईं ग्रुप के माध्यम से आप सब से अपील करते है की यदि आप के पास गैर जरूरी (न काम आने वाले हर रोज़ मर्रा का कोई भी जरूरी सामान जो शायद आज आपकी जरूरत का हिस्सा न हो) जैसे वस्त्र (किसी भी तरह के वस्त्र, हर उम्र एवं हर श्रेणी के), खिलौने अथवा बिस्तर (पुराने या नए चादर, तकिया, कम्बल, इत्यादि) अथवा अन्नदान, जरूरतमंद कौड़ियों के आश्रम के लिए दान दे | ग़रीबों को भोजन अवश्य दें क्यों कि बाबा ने स्वयं कहा है कि जो ग़रीबों को भोजन खिलाता है वो वास्तव में मुझे भोजन खिलाता है |
शिर्डी के साँई बाबा जी के दर्शनों का सीधा प्रसारण... अधिक जानने के लियें पूरा पेज अवश्य देखें
शिर्डी से सीधा प्रसारण ,...
"श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ...
के सौजन्य से...
सीधे प्रसारण का समय ...
प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ...
सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को
ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन
नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,...
हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है।
...ॐ साँई राम जी...
Tuesday, 30 April 2013
Monday, 29 April 2013
Sunday, 28 April 2013
Saturday, 27 April 2013
Friday, 26 April 2013
Thursday, 25 April 2013
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 20
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
आप सभी को वर्ल्ड ऑफ साँईं ग्रुप की और से साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं
हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है|
हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा, किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 20
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विलक्षण समाधान . श्री काकासाहेब की नौकरानी द्घारा श्री दासगणू की समस्या का समाधान ।
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श्री. काकासाहेब की नौकरानी द्घारा श्री. दासगणू की समस्या किस प्रकार हल हुई, इसका वर्णन हेमाडपंत ने इस अध्याय में किया है ।
Wednesday, 24 April 2013
श्री साईं लीलाएं...चोलकर को शक्कर की चाय पिलाओ
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
श्री साईं लीलाएं...
चोलकर को शक्कर की चाय पिलाओ
अब तक साईं बाबा का प्रसिद्धि पूना और अहमदनगर तक फैल चुकी थी| दासगणु के मधुर कीर्तन के कारण बाबा का यश कोंकण तक व्याप्त हो चुका था| लोगों को उनका कीर्तन करना बहुत अच्छा लगता था और उनके कीर्तन का प्रभाव लोगों के हृदयों पर गहरे तक पड़ता था|
एक बार श्रोताओं के कहने पर महाराज ठाणे के कौपीनेश्वर मंदिर में कीर्तन करते हुए साईं बाबा का गुणगान कर रहे थे| श्रोताओं में एक चोलकर नाम का व्यक्ति भी उपस्थित था| वह ठाणे की दीवानी अदालत में अस्थायी कर्मचारी था|
उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी| चोलकर दासगणु महाराज का कीर्तन सुनकर बड़ा प्रभावित हुआ| उसने मन-ही-मन बाबा के श्री चरणों में प्रणाम किया और साईं प्रार्थना की कि - "हे साईं बाबा ! मेरी हालत से आप परिचित हैं|
परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से हो पाता है| यदि आपकी कृपा से मैं विभागीय परीक्षा में सफल हो गया तो आपके चरण-कमलों में उपस्थित होकर आपके नाम से मिश्री का प्रसाद बांटूंगा|"
चोलकर विभागीय परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया और वो स्थायी कर्मचारी हो गया| अपनी मनन्त याद होते हुए भी वह हालात की वजह से शिरडी न जा सका| एक तरफ गरीबी और दूसरी तरफ बड़ा परिवार| ऐसे में शिरडी जाने के लिए पैसा इकट्ठा करना बहुत मुश्किल कार्य था| लेकिन जब दिन पर दिन बीतने लगे तो वह बेचैनी बढ़ती जा रही थी| आखिर में उसने एक कठोर निर्णय किया| उसने शक्कर खाना छोड़ दी और चाय भी फीकी पीने लगा| अन्य खर्चे भी कम कर दिये|
इस तरह पैसा जोड़कर वह एक दिन शिरडी पहुंचा| शिरडी में पहुंचकर बाबा के श्री चरणों में प्रणाम करके अपनी मनन्त बताकर वहां उपस्थित सभी भक्तों में मिश्री का प्रसाद बांट दिया| फिर बाबा से बोला - "बाबा आपकी कृपा-आशीर्वाद से मेरी मनोकामना पूर्ण हो गयी और आज आपके दर्शन कर मैं धन्य हो गया|"
उस समय बापू साहब जोग भी वहां पर उपस्थित थे| उन्होंने चोलकर का आतिथ्य किया था| जब वे दोनों मस्जिद से जाने लगे तो बाबा ने बापू साहब जोग से कहा, अपने मेहमान को चाय में खूब शक्कर मिलाकर पिला| चोलकर ने जब बाबा के श्रीमुख से ये वचन सुने तो उसका दिल भर आया और आँखों से आँसू बहने लगे| वह भावविह्वल हो बाबा के चरणों में गिर पड़ा| बापू साहब हैरान थे कि बाबा के कहने का मतलब क्या हैं? बाबा के कहने का संकेत यह था कि उन्हें चोलकर द्वारा शक्कर छोड़ने के बारे में पता है|
एक बार श्रोताओं के कहने पर महाराज ठाणे के कौपीनेश्वर मंदिर में कीर्तन करते हुए साईं बाबा का गुणगान कर रहे थे| श्रोताओं में एक चोलकर नाम का व्यक्ति भी उपस्थित था| वह ठाणे की दीवानी अदालत में अस्थायी कर्मचारी था|
उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी| चोलकर दासगणु महाराज का कीर्तन सुनकर बड़ा प्रभावित हुआ| उसने मन-ही-मन बाबा के श्री चरणों में प्रणाम किया और साईं प्रार्थना की कि - "हे साईं बाबा ! मेरी हालत से आप परिचित हैं|
परिवार का भरण-पोषण बड़ी मुश्किल से हो पाता है| यदि आपकी कृपा से मैं विभागीय परीक्षा में सफल हो गया तो आपके चरण-कमलों में उपस्थित होकर आपके नाम से मिश्री का प्रसाद बांटूंगा|"
चोलकर विभागीय परीक्षा में उत्तीर्ण हो गया और वो स्थायी कर्मचारी हो गया| अपनी मनन्त याद होते हुए भी वह हालात की वजह से शिरडी न जा सका| एक तरफ गरीबी और दूसरी तरफ बड़ा परिवार| ऐसे में शिरडी जाने के लिए पैसा इकट्ठा करना बहुत मुश्किल कार्य था| लेकिन जब दिन पर दिन बीतने लगे तो वह बेचैनी बढ़ती जा रही थी| आखिर में उसने एक कठोर निर्णय किया| उसने शक्कर खाना छोड़ दी और चाय भी फीकी पीने लगा| अन्य खर्चे भी कम कर दिये|
इस तरह पैसा जोड़कर वह एक दिन शिरडी पहुंचा| शिरडी में पहुंचकर बाबा के श्री चरणों में प्रणाम करके अपनी मनन्त बताकर वहां उपस्थित सभी भक्तों में मिश्री का प्रसाद बांट दिया| फिर बाबा से बोला - "बाबा आपकी कृपा-आशीर्वाद से मेरी मनोकामना पूर्ण हो गयी और आज आपके दर्शन कर मैं धन्य हो गया|"
उस समय बापू साहब जोग भी वहां पर उपस्थित थे| उन्होंने चोलकर का आतिथ्य किया था| जब वे दोनों मस्जिद से जाने लगे तो बाबा ने बापू साहब जोग से कहा, अपने मेहमान को चाय में खूब शक्कर मिलाकर पिला| चोलकर ने जब बाबा के श्रीमुख से ये वचन सुने तो उसका दिल भर आया और आँखों से आँसू बहने लगे| वह भावविह्वल हो बाबा के चरणों में गिर पड़ा| बापू साहब हैरान थे कि बाबा के कहने का मतलब क्या हैं? बाबा के कहने का संकेत यह था कि उन्हें चोलकर द्वारा शक्कर छोड़ने के बारे में पता है|
कल चर्चा करेंगे... छिपकली बहनों का मिलन
ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।
Tuesday, 23 April 2013
Monday, 22 April 2013
Sunday, 21 April 2013
Saturday, 20 April 2013
Friday, 19 April 2013
Ramanavami, the Festival of Rama’s Birth at Shirdi
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
Introduction:
All the festivals are celebrated in Shirdi, but the three important festivals are, Ramanavami, Guru Poornima and Vijayadashmi. These are celebrated with great pomp and show. Each is a three-day event and the temples are decorated beautifully with lights, shamianas and look like heaven. In the evenings there are cultural programmes and bhajans by famous artists. There is annadan on the main utsav day of these three festivals. The Prasadalaya serves free meals.
Thursday, 18 April 2013
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 18/19
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
आप सभी को वर्ल्ड ऑफ साईं ग्रुप की और से साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं, हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है |
हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा, किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है|
हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा, किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है|
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 18/19 -
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श्री हेमाडपंत पर बाबा की कृपा कैसे हुई । श्री साठे और श्रीमती देशमुख की कथा, आनन्द प्राप्ति के लिये उत्तम विचारों को प्रोत्साहन, उपदेश में नवीमता, निंदा सम्बंधी उपदेश और परिश्रम के लिए मजदूरी ।
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Wednesday, 17 April 2013
Tuesday, 16 April 2013
Monday, 15 April 2013
Sunday, 14 April 2013
Saturday, 13 April 2013
शिर्डी में काला बाज़ारी...
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
शिर्डी में काला बाज़ारी...
जितने भी भक्त शिर्डी में बाबा जी के दर्शनों के लिये जाते है, उन्हे आज कल एक नई और बहुत ही भयानक बीमारी का सामना करना पड़ रहा है, और वो बीमारी है काला बाज़ारी, शिर्डी के दुकानदारो ने एक अपना ही कानून बना रखा है जिससे ऐसा व्यतीत होता है की हम हिन्दुस्तान की सरहद पार कर के किसी दूसरे मुल्क मे आ पहुँचे है, अभी हाल ही में 27 मार्च से 29 मार्च तक मुझे शिर्डी मे बाबा जी के दर्शनों का सौभाग्य प्राप्त हुआ, पर बाबा जी के दर्शनों को छोड़ कर सब कुछ ही विचित्र सा विस्मित हुआ, ऐसा लगा जैसे की मैं वीसा ले कर किसी तानाशाह देश के भ्रमण हेतु पधारा हू..
सभी कुछ सामान तो वहाँ के दुकानदार अपनी मर्ज़ी के दामों पर सरेआम बेचतें है, जैसे की हर इंसान के जरूरत की मूल वस्तु पानी को ही ले लिजिये.. प्रिंट रेट अगर 12 का है तो वो लोग आपसे 15 रूपयें वसूलते है.. एक उदाहरण और लिजिये.. मैने एक भोजनालय से thums up की 500 मि. ली. की बोतल मांगी तो उन जनाब ने मुझसे 35 रूपये की मांग की जब मैने उस बोतल पर अंकित अधिकतम खुद्रा मुल्य (25 रूपये ) के बारे में उन्हे अवगत करवाया तो कहने लगे की आपको यदि लेना हो तो लो वरना रहने दो, जैसा की हमारे देश का कानून कहता है की अधिकतम खुद्रा मूल्य से अधिक दाम दे कर कुछ भी सामान ना ले, इस पर मैने भी उनसे इस जानकारी से अवगत करवाने और उनको इस बात से परिचित होने के लिये कहा तो उन्होने कहा की हमें इन सब से कुछ मतलब नहीं अपितु उन्होने मुझसे thums up की बोतल छीन ली, मैने भी अपने अधिकारो को इस्तेमाल् करने हेतु उन से उस रकम का बिल माँगा, तो और अधिक ताज्जुब हुआ यह जान कर कि काला बाज़ारी का ज़हर इस हद तक उन लोगो की नसों मे घर कर चुका है की 25 रूपये की वस्तु को वो सरेआम 35 रूपये में बेच रहे है और जब उनसें उसका बिल माँगा गया तो उन 35 रूपये पर भी TAX की बात ने मुझे और चौँका दिया..
कौन से देश का कानून है जिसे शिर्डी के दुकानदार अपनी मर्जी से अपना कर अपना ही एक नया देश बना कर भोले भाले भक्तों की जरूरत का फायदा उठा रहे है...
ऐसा ही एक और वाकिया मेरे साथ हुआ जब मेरी बच्ची ने मुझसे MAAZA की बोतल की मांग की, उस बोतल पर भी कुछ ऑफर था जिसमें 10 रूपये की छूट थी पर जनाब उस दूकानदार ने तो मुझे नई english पढ़वाई, कहा की 40 रूपये के खुद्रा मूल्य से 10 रूपये अधिक देने होंगे और फिर भी जनाब ने मुझसें 60 रूपये की मांग कर डाली, मैने भी अनपढ़ बनते हुये कहा कि भाई साहाब आप तो आपके हिसाब से भी 10 रूपये अधिक की मांग कर रहे थे, तो कहने लगे की यहा वैसे ऐसे ही सब कुछ तय मूल्य से अधिक दामों पर मिलता है..
अब एक दो उदाहरण हो तो बोलूँ, अब आप भी एक बार वीसा लेकर शिडी के दर्शन कर आईये..
जिन लोगों ने बाबा जी के जीवन काल में बाबा जी का सम्मान नहीं किया जो परमपिता परमेश्वर तो है ही एवम तीनो लोकों के स्वामी भी है.. तो आप उनसें किसी भी तरह की इंसानियत की उम्मीद तो ना रखियेगा.. जिन लोगो को आज भी बाबा जी के आशिर्वाद से रोज़ी-रोटी नसीब हुई है वो भी अपनी रंगत दिखा रहे है... और जो बाहर से आ कर वहाँ पर अपना कारोबार शुरू करता है वो भी उन्हीं के रंग मे रंग कर वहाँ पहुँचे बाबा जी के प्रिये भक्तों को अपना शिकार बनाते है...
क्या कोई है जो मेरे साथ इस बात को शिर्डी संस्थान के साथ-साथ, भारत सरकार के कानों तक इस कालाबाज़ारी की बीमारी के इलाज़ की गुहार लगा सकें..
यह मैने अपने लिये नही लिखा है, अपितु उन भक्तों के लिये लिखा है जो इन सब से परेशान तो है पर लाचार भी है......
किसी को आहत ना करने की ठानी दी पर किसी का दिल दुखा हो तो क्षमा प्रार्थी हूँ..
ॐ साँई राम जी
आनन्द साँई
Friday, 12 April 2013
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
श्रीमद्भगवद्गीता अध्याय 17. श्रद्धात्रयविभागयोग
घोर तप वर्णन (अध्याय 17 शलोक 1 से 6)
अर्जुन बोले :
ये शास्त्रविधिमुत्सृज्य यजन्ते श्रद्धयान्विताः।
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः॥१७- १॥
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वमाहो रजस्तमः॥१७- १॥
हे कृष्ण। जो लोग शास्त्र में बताई विधि की चिंता न कर, अपनी श्रद्धा अनुसार यजन (यज्ञ) करते हैं, उन की निष्ठा कैसी ही - सातविक, राजसिक अथवा तामसिक।
Thursday, 11 April 2013
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 8
प्रस्तुतकर्ता :-
साईं का हनी
ॐ सांई राम
आप सभी को वर्ल्ड ऑफ साईं ग्रुप की और से साईं-वार की हार्दिक शुभ कामनाएं |
हम प्रत्येक साईं-वार के दिन आप के समक्ष बाबा जी की जीवनी पर आधारित श्री साईं सच्चित्र का एक अध्याय प्रस्तुत करने के लिए श्री साईं जी से अनुमति चाहते है |
हमें आशा है की हमारा यह कदम घर घर तक श्री साईं सच्चित्र का सन्देश पंहुचा कर हमें सुख और शान्ति का अनुभव करवाएगा| किसी भी प्रकार की त्रुटी के लिए हम सर्वप्रथम श्री साईं चरणों में क्षमा याचना करते है|
श्री साई सच्चरित्र - अध्याय 8
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मानव जन्म का महत्व, श्री साईबाबा की भिक्षा-वृत्ति, बायजाबई की सेवा-शुश्रूशा, श्री साईबाबा का शयनकक्ष, खुशालचन्त पर प्रेम ।
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जैसा कि गत अध्याय में कहा गया है, अब श्री हेमाडपन्त मानव जन्म की महत्ता को विस्तृत रुप में समझातेहैं । श्री साईबाबा किस प्रकार भिक्षा उपार्जन करते थे, बायजाबाई उनकी किस प्रकार सेवा-शुश्रूशा करती थी, वे मसजिद में तात्या कोते और म्हालसापति के साथ किस प्रकार शयन करते तथा खुशानचन्द पर उनका कैसा स्नेह था, इसका आगे वर्णन किया जायेगा ।
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