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Sunday, 14 September 2014

श्री साईं लीलाएं - काका, नाथ भागवत पढ़ो, यही एक दिन तुम्हारे काम आयेगा

ॐ सांई राम



कल हमने पढ़ा था.. कर्म भोग न छूटे भाई
श्री साईं लीलाएं


काका, नाथ भागवत पढ़ो, यही एक दिन तुम्हारे काम आयेगा

शिरडी आने वाले लोगों में कई लोग किसी धार्मिक ग्रंथ का पाठ करते थे| या तो मस्जिद में बैठकर बाबा के सामने पढ़ते या अपने ठहरने की जगह पर बैठकर| कई लोगों का ऐसा रिवाज भी था कि वह अपनी पसंद का ग्रंथ खरीदकर शामा के द्वारा साईं बाबा के कर-कमलों में दे देते| बाबा उस ग्रंथ को उल्टा-पुल्टाकर फिर उसे वापस कर देते थे| भक्तों की ऐसी आस्था थी कि ऐसा प्रसाद ग्रंथ पढ़ने से उनका कल्याण हो जायेगा|

कभी-कभी ऐसा भी होता था कि बाबा किसी का ग्रंथ वापस भी न करते और उसे शामा को रखने के लिए कहते| वह एक भक्त ने खरीदा है - ऐसा सोचकर शामा यदि उसे लौटाने के लिए बाबा से पूछते तो भी बाबा ग्रंथ नहीं लौटाते थे और यह ग्रंथ तेरे पास ही रहेगा ऐसा सीधा-सा जवाद देते| यानी कौन ग्रंथ पढ़े, क्या पढ़े, ये निर्णय बाबा ही करते थे|

एक बार की बात है कि काका महाजनी बाबा के दर्शन करने के लिए शिरडी आये| उन्हें एक ऐसा ही ग्रंथ 'नाथ भागवत' बाबा ने दिया था| वे उसे हर समय अपने साथ रखते थे और रोजाना पढ़ते थे| जब काका महाजनी शिरडी आये तो शामा उनसे मिलने गये और निकलते समय काका से बोले - "काका, यह भागवत मैं देखकर लौटा देता हूं|" और ग्रंथ को अपने साथ में ले गये| जब शामा मस्जिद में गये तो बाबा ने पूछा - "शामा, यह ग्रंथ कौन-सा है?" तो शामा ने वही ग्रंथ बाबा के हाथ में दे दिया और बाबा ने वह ग्रंथ देखकर उसे वापस देते हुए कहा - "यह ग्रंथ तू अपने पास ही रखना, आगे काम आयेगा|"

तब शामा ने कहा - "बाबा ! यह ग्रंथ तो काका साहब का है, मैं उन्हें इसे वापस लौटाने का वादा करके आया हूं| यह मैं कैसे रख लूं?" बाबा ने कहा - "जब मैंने इस ग्रंथ को तुम्हें रखने के लिए कहा है तब यह समझ ले कि यह आगे चलकर तुम्हारे काम आनेवाला है|" अब शामा करे भी तो क्या करे, उन्होंने काका के पास जाकर सारी बात उन्हें ज्यों-की-त्यों बता दी और वह ग्रंथ अपने पास रख लिया|

कुछ दिन बाद काका जब फिर से शिरडी आये तो वह अपने साथ एक और भागवत ग्रंथ लाये थे| मस्जिद में बाबा के दर्शन करने के बाद जब काका ने वह ग्रंथ बाबा के हाथ में दिया, तो बाबा ने उसे प्रसाद के रूप में लौटाते हुए कहा - "ऐ काका ! यही ग्रंथ आगे चलकर तेरे काम आने वाला है| इसलिए अब यह ग्रंथ किसी को मत दे देना|" बाबा ने जिस ढंग से यह बात कही थी, उसे देखते हुए काका ने वह ग्रंथ अपने सिर पर उठाया और फिर साथ में ले गये|

ऐसा ही पार्सल एक बार शिरडी के डाकघर में बाबू साहब जोग के पास आया| पार्सल खोलने पर उन्होंने देखा तो वह लोकमान्य तिलक की लिखी किताब थी, जिसका नाम था 'गीता रहस्य'| जोग उस किताब को बगल में दबाये हुए सीधे मस्जिद में पहुंचे| वहां पहुंचकर बाबा के दर्शन कर चरणवंदना करने लगे, तभी वह पार्सल नीचे गिर पड़ा|

तब बाबा ने पूछा - "बापू साहब, इसमें क्या है?" जोग ने पार्सल खोलकर वह पुस्तक निकालकर चुपचाप बाबा के श्रीचरणों के पास रख दी| बाबा ने उठाकर कुछ देर उसके पन्ने उल्ट-पुल्ट कर देखे और उस पर एक रुपया रखकर वह पुस्तक जोग को लौटाते हुए बाबा ने कहा - "इस ग्रंथ को तू मन लगाकर पढ़ना| इसी से तेरा कल्याण हो जायेगा|" श्री जोग को ऐसा लगा कि यह साईं बाबा ने उन पर बड़ा अनुग्रह किया, फिर वह ग्रंथ को लेकर लौट गये|


कल चर्चा करेंगे... साईं बाबा की भक्तों को शिक्षाएं - अमृतोपदेश

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.