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Tuesday, 29 July 2014

श्री साईं लीलाएं - संकटमोचक साईं बाबा

ॐ सांई राम




कल हमने पढ़ा था.. डॉक्टर द्वारा साईं बाबा की पूजा       


श्री साईं लीलाएं

संकटमोचक साईं बाबा
एक दिन संध्या के समय अचानक तूफान आयाआसमान काले बादलों से घिर गयाबिजली बड़े जोर-शोर से कड़क रही थीवायु भी पूरी प्रचंडता के साथ बह रही थी और तभी मूसलाधार बारिश भी शुरू हो गयीचारों तरफ पानी-ही-पानी हो गयाफसलें भीग गयींसुखी घास बह गयीपालतू जानवर इधर-उधर भागने लगेगांव वाले भी भयाक्रांत हो उठेसब लोग मस्जिद में इकट्ठे हो गये और उन्होंने बचाव के लिए बाबा से प्रार्थना की|साईं बाबा के दिल में लोगों के प्रति दया आ गईबाबा उठकर मस्जिद के बाहर आकर आसमान की ओर देखते हुए जोर-जोर से गरजने लगेबाबा की आवाज चारों तरफ गूंज उठीमस्जिद और मंदिर कांप उठे तथा लोगों ने कानों में अंगुलियां डाल लींवहां उपस्थित सभ ग्रामवासी बाबा का यह अनोखा स्वरूप देखते ही रह गये|

बस थोड़ी ही देर में वर्षा का जोर धीमा हो गयाहवा की गति भी थम-सी गयीबादलों का कड़कना रुक गया और वे छंट गये तथा आसमान में तारों के साथ चाँद चमकने लगापशु-पक्षी अपने-अपने घरौंदों की ओर वापस लौटने लगेसब लोग भी प्रसन्नतापूर्वक अपने-अपने घर रवाना हुए|
बाबा अपने भक्तों से एक माँ की तरह प्यार करते थेभक्त की पुकार सुनते ही बाबा न दौड़ हों - ऐसा कभी हुआ ही नहीं|
इसी तरह एक बार दोपहर के समय मस्जिद में प्रज्जवलित रहने वाली धुनी एकाएक भड़क उठीउसकी लपटें इतनी बढ़ गयीं कि वे ऊपरी छत तक पहुंचने लगींलपटों की भयानकता को देखते हुए वहां उपस्थित भक्तों को ऐसा लगामानो यह आग मस्जिद को जलाकर राख कर देगीसब फिक्रमंद थे कि क्या करना चाहिए पानी डालकर अग्नि को शांत कर देना चाहिएपानी डालें तो डाले भी कैसे बाबा से पूछने की हिम्मत किसी में भी न हुईबाबा तो अंतर्यामी थेबड़ी खामोशी से सब देख रहे थेफिर कुछ देर बाद भक्तों की बढ़ती हुई बेचैनी को देखते बाबा ने हाथ में अपना सटका उठाया और धूनी के पास वाले खम्बे पर जोरदार प्रहार करते हुए बोले - "शांत हो जाओनीचे उतरो|" हर प्रहार के साथ अग्नि की लपटें धीमी होती चली गयीं और कुछ देर बाद वे सामान्य दिनों की तरह जलने लगीं तथा इस तरह लोगों के मन का डर भी मिट गया|

कल चर्चा करेंगे..काका आप कल जायें  

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.