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Monday 13 February 2012

जीवन बीत गया सपनों में

ॐ सांई राम
 जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार
भोर अब तो होने लगी है, साईं नाम पुकार,


सूरज कितनी बार ही निकला, लेकर अपनी ही धूप,
कितनी बार ये बदले ये मौसम, बदला समय का रूप,
अंत समय है नीद से जागो, कर लो साईं से प्यार,
जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार

क्या है तेरा किसपर पगले, करता है अभिमान,
ये जग तो है रैन बसेरा, तू है यहाँ मेहमान,
एक है ईश्वर साईं तेरा, उसको तू न बिसार,
जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार,

लेकर जा तू साईं के द्वारे, श्रद्धा के ये फूल,
माथे पर तू अपने लगा ले,  साईं चरण की धूल,
वो है दयालु, वो ही करेंगे, तेरा बेड़ा पार,
जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार,
जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार,

जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार
भोर अब तो होने लगी है, साईं नाम पुकार,
जीवन बीत गया सपनों में, शेष बचे दिन चार
भोर अब तो होने लगी है, साईं नाम पुकार,

-: आज का साईं सन्देश :-

बात न कोई बहस की,
मंजिल पाना होय ।
समझ गए दाभोलकर,
गुरु ज़रूरी होय ।।

गुरु कृष्ण के भी रहे,
गुरु राम के होय ।
इसी तरह साईं सदा,
सद्गुरु तेरे होय ।।


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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.