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Tuesday 13 August 2013

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ - सिक्खी का जहाज फूटना

श्री गुरु हरिराय जी – साखियाँ





सिक्खी का जहाज फूटना

एक दिन गुरु हरि राय जी कुछ सिखो को साथ लेकर बाबा गुरु दित्ता जी के समाने वाले स्थान के दर्शन करने के लिए पहाड़ी पर गए| वहाँ गुरु जी काफी देर खड़े रहे और देखते रहे| जब बहुत समय ऐसे ही बीत गया तो सिखो ने गुरु जी से पूछा महाराज! आप इधर क्या देख रहे हो| तब आपने कहा कि भाई! श्री गुरु नानक देव जी ने इस संसार के उद्धार के लिए जो जहाज तैयार किया था| वह भवर में पड़कर टुकड़े टुकड़े हो गया है| इस में जो सिख सवार थे कोई डूब गया, कोई बह गया और कोई किनारे लग रहा है| सबको आपा-धापी पड़ी है| हम इस जहाज की दयनीय दशा को देख रहे हैं|

जब सिक्खों ने इस बात को स्पष्ट करने की माँग की तो आपने बताया सिख सेवक धन के लालच में पड़ गए हैं| वह सिक्खी का मार्ग ही भूल गए हैं| कच्चे गुरुओं के पीछे लगकर पारउतारा किस प्रकार हो सकता है| इस तरह सिक्खी का जहाज टूट-फूट गया है|

गुरु जी की बात सुनकर सिक्खों ने फिर प्रार्थना की कि महाराज! यह जहाज कभी जुड़ेगा या नहीं| महाराज ने कहा कि जब हम दसवां जामा धारण करके दुष्टों और पाखंडियों का नाश करेगें और नया पंथ चलायेगें| यह जहाज फिर जुड जाएगा| इस पर वाहिगुरु की भक्ति करने वाले सिख चढ़ेंगे और उनका पार उतारा हो जाएगा|

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.