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Sunday, 25 August 2013

श्री गुरु हरि कृष्ण जी गुरु गद्दी मिलना

श्री गुरु हरि कृष्ण जी गुरु गद्दी मिलना








कीरत पुर में गुरु हरि राय जी के दो समय दीवान लगते थे| हजारों श्रद्धालु वहाँ उनके दर्शन के लिए आते और अपनी मनोकामनाएँ पूरी करते| एक दिन गुरु हरि राय जी ने अपना अन्तिम समय नजदीक पाया और देश परदेश के सारे मसंदो को हुक्मनामे भेज दिये कि अपने संगत के मुखियों को साथ लेकर शीघ्र ही किरत पुर पहुँच जाओ| इस तरह जब सब सिख सेवक और सोढ़ी, बेदी, भल्ले, त्रिहण, गुरु, अंश और सन्त-महन्त सभी वहाँ पहुँचे| आपजी ने दीवान लगाया और सब को बताया कि हमारा अन्तिम समय नजदीक आ रहा है और हमने गुरु गद्दी का तिलक अपने छोटे सपुत्र श्री हरि कृष्ण जी को देने का निर्णय किया है| 


इसके उपरांत गुरु जी ने श्री हरि कृष्ण जी को सामने बिठाकर उनकी तीन परिकर्मा की और पांच पैसे और नारियल आगे रखकर उनको नमस्कार की| उन्होंने साथ-साथ यह वचन भी किया कि आज से हमने इनको गुरु गद्दी दे दी है| आपने इनको हमारा ही रूप समझना है और इनकी आज्ञा में रहना है| गुरु जी का यह हुक्म सुनकर सारी संगत ने यह वचन सहर्ष स्वीकार किया और भेंट अर्पण की| इस प्रकार संगत ने श्री हरि कृष्ण जी को गुरु स्वीकार कर लिया|


यह सब गुरु हरि कृष्ण जी के बड़े भाई श्री राम राय जी बर्दाश्त ना कर सके| उन्होंने क्रोध में आकर बाहर मसंदो को पत्र लिखे कि गुरु की कार भेंट इक्कठी करके सब मुझे भेजो नहितो पछताना पड़ेगा| उसने इसके साथ-साथ दिल्ली जाकर औरंगजेब को कहा कि मेरे साथ बहुत अन्याय हुआ है| गुरु गद्दी पर बैठने का हक तो मेरा था परन्तु मुझे छोडकर मेरे छोटे भाई को गुरु गद्दी पर बिठाया गया| जिसकी उम्र केवल पांच वर्ष की है| आप उसको दिल्ली में बुलाओ और कहो कि गुरु बनकर सिखो से कार भेंटा ना ले और अपने आप को गुरु ना कहलाए| श्री राम राय के बहुत कुछ कहने के कारण बादशाह ने मजबूर होकर राजा जयसिंह को कहा कि अपना विशेष आदमी भेजकर गुरु जी को दिल्ली बुलाओ| जयसिंह ने ऐसा ही किया| राजा जयसिंह कि चिट्टी पड़कर और मंत्री की जुबानी सुनकर गुरु हरि कृष्ण जी ने माता और बुद्धिमान सिक्खों से विचार किया और दिल्ली जाने की तैयारी कर ली|

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.