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Monday, 5 August 2013

श्री गुरु हरिगोबिन्द जी – साखियाँ - जब शाहजहाँ को घोड़े के बारे में पता लगा

श्री गुरु हरिगोबिन्द जी – साखियाँ




जब शाहजहाँ को घोड़े के बारे में पता लगा
काबुल के एक श्रद्धालु सिख ने अपनी कमाई में से दसवंध इक्कठा करके गुरु जी के लिए एक लाख रूपए का एक घोड़ा खरीदा जो की उसने ईराक के सौदागर से खरीदा था| जब वह काबुल कंधार की संगत के साथ यह घोड़ा लेकर अटक दरिया से पार हुआ तो शाहजहाँ के एक उमराव ने वह घोड़ा देख लिया|

वह शाहजहाँ के लिए अच्छे घोड़े खरीदा करता था| उसने घोड़े को देखा और कहने लगा कि यह घोड़ा तो शाहजहाँ के लिए ही बना है| उसने सिख से कहा तुम मुझसे इसकी कीमत ले लो| परन्तु सिख जिसने बड़ी श्रद्धा के साथ वह घोड़ा खरीदा था कहने लगा कि यह घोड़ा तो मैंने गुरु जी के निमित खरीद कर उनको भेंट करने जा रहा हूँ| मैं इसे आपको नहीं बेच सकता|

जब शाहजहाँ को घोड़े के बारे में पता लगा तो उसने अपने सिपाही भेजे| सिपाहियों ने घोड़ा जबरदस्ती लेकर तबेले में बांध लिया| तो गुरु का सिख दुखी हो गया| वह दुखी मन से गुरु जी के पास पहुँचा| पास पहुँच कर उसने गुरु जी को अपनी सारी व्यथा सुनाई| उसकी बात सुनकर गुरु जी कहने लगे, गुरु के सिखा! तुम चिंता न करो, तुम्हारी भेंट हमे स्वीकार हो गई है| घोड़ा हमारे पास जल्दी ही आ जाएगा|

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.