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Sunday, 12 January 2014

अल्लाह भला करेगा

ॐ सांई राम


 " बाबा ने कहा "श्रद्धा रख सब्र से काम ले अल्लाह भला करेगा." ये विशवास और आश्वासन हमेशा से भक्तो के लिए एक उजाले की किरण बनता रहा है. धुपखेडा गाँव के चाँद पाटिल से लेकर आज तक जिसने भी अपने मन में ये श्रीसाईं के इन दो शब्दों को बसा लिया उसका पूरी दुनिया तो क्या स्वयं प्रारब्ध या कहें की 'होनी' भी कुछ नहीं बिगाड़ सकती. सिर्फ एक अटल विश्वाश और अडिग यकीन आपको सारी मुसीबतों और तकलीफों के पार ले जा सकता है.



बहुत से भक्तो को बाबा ले श्रद्धा-सबूरी का मतलब आज भी स्पष्ट नहीं है. वास्तव में बाबा ने कहा था की अपने ईष्ट, अपने गुरु, अपने मालिक पर श्रद्धा रखो. ये विश्वास रखो की भवसागर को पार अगर कोई करा सकता है तो वो आपका ईष्ट, गुरु, और मालिक है. अपने मालिक की बातों को ध्यान से सुनो और उनका अक्षरक्ष पालन करो. बाबा को पता था की केवल किसी पर विश्वास रखना हो काफी नहीं है. विश्वास की डूबती-उतरती नाव का कोई भरोसा नहीं है इसीलिए बाबा ने इस पर सबूरी का लंगर डाल दिया था. किसी पर विश्वास करना है और इस हद तक करना है की कोई उस विश्वास को डिगा ना सके चाहे कितने ही साल और जनम लगें. जैसा की पहले हमने बताया दुःख दूर होना है और होगा मगर उस समय तक पहुँचने के लिए एक सहारा चाहिए और वो सहारा है श्रद्धा और सबूरी..........

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.