ॐ सांई राम
सुख के आने की उम्मीद पे सांई,
दुःख क्यों द्वार खटखटाता है,
यह तो मेरे कर्म है सांई,
मेरा मन क्यों तुझ को दोष लगाता है!!
तूँ तो सब का सहारा है सांई,
हर कोई तुझ को प्यारा है सांई,
तूँ तो अपने बंदों में फर्क न करता,
मेरा मन क्यों मुझको भटकाता है सांई,
ये तो मेरे कर्म है सांई....
तूँ तो दयावान है सांई,
तुझसे मिलता समाधान है सांई,
मैं यह जानूँ, देकर मुझको
दुःख तूँ आज़माता है!!!
तेरी कृपा सब पर होती सांई,
आँखें फिर क्यों दामन को भिगोती सांई,
तुझ को देकर दोष स्वयम् का,
मन ही मन वो पछताता है,
ये तो मेरे कर्म है सांई....
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgTgxE3oRZf4LwNkR8r_7EKWuegCcSQHrVflhKjyob7Fr8fntJcwKZPpw-6I6e8p9nti9dtEN3vK218xMppJUMIGNrjAnAErxlYVrmuA4rooYXqHB2Vm1gZw3M1v53XNbKjvfULClXFe_H3/s1600/1501795_10202858670451735_1027987663_n.jpg)
मैं ना चाहूँ इतना सुख सांई,
जिसमे हो तुझे भुलाने का दुःख सांई,
कभी-कभी ही लेकिन फिर भी
मुझ पे तूँ अपना हक तो जमाता है,
ये तो मेरे कर्म है सांई..
![](https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiWSXNEEACHA5plMtANzAH0YFRhvWYqXNGaCuat3SBKrQC4xJ8KeEa7c7lh7XAen2krJm3BAvhH6dizbb1FecadCA_qW4MkRbu9FzyaFoPyBgkJ3qijJmywQy61DHTw7IwcZy9sNTbgU1B2/s1600/1505443_10202862857036397_2063297844_n.jpg)