ॐ साईं राम
बाबा मुझे भी इंसान बना दो
तुम्हारे दर पर खड़ा हूँ
थक गया हूँ जीवन से
सर से सारा भार उतार दो
झूठ , फरेब ,क्रोध , मोह के
चक्रव्यूह में फसा हुआ हूँ
माया के जाल से
मुझे आज मुक्त करा दो
जीवन की तीखी धूप ने
मेरी भावनाओं को झुलसा दिया है
इस तपती धूप पर
अपनी ठड़ी छाव बिछा दो
करूणा, क्षमा का वास
जीवन से मिट गया है
इस कठोर दिल को
दया का पाठ पड़ा दो
धन दौलत की आस ने
बिखेर दिया है मुझे
इस टूटे हुए आईने को
समेट लो अपने हाथो में
थक गया हूँ जीवन से
सर से सारा भार उतार दो
झूठ , फरेब ,क्रोध , मोह के
चक्रव्यूह में फसा हुआ हूँ
माया के जाल से
मुझे आज मुक्त करा दो
जीवन की तीखी धूप ने
मेरी भावनाओं को झुलसा दिया है
इस तपती धूप पर
अपनी ठड़ी छाव बिछा दो
करूणा, क्षमा का वास
जीवन से मिट गया है
इस कठोर दिल को
दया का पाठ पड़ा दो
धन दौलत की आस ने
बिखेर दिया है मुझे
इस टूटे हुए आईने को
समेट लो अपने हाथो में