ॐ साईं राम
तेरी मेहरबानी का है बोझ इतना, अभी मैं उठाने के काबिल नहीं हूँ |
मैं आ तो गया हूँ मगर जानता हूँ, तेरे दर पर आने के काबिल नहीं हूँ |
ज़माने की चाहत में ख़ुद को मिटाया, तेरा नाम हरगिज़ ज़ुबां पे न लाया |
गुन्हागार हूँ मैं ख़तावार हूँ मैं, तुम्हें मुंह दिखाने के काबिल नहीं हूँ |
तुम पर ज़ोर नहीं कोई मेरा हम पर ज़ोर तुम्हारा है
जीवन डोरी हाथ है तेरे तू ही नचावन वाला है
करो ऐसी मेहर जपु आठों पहर मेरे साईं