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Wednesday, 20 August 2014

श्री साईं लीलाएं - दाभोलकर के मन की बात

ॐ सांई राम


कल हमने पढ़ा था.. सब के प्रति प्रेम भाव रखो 

श्री साईं लीलाएं


दाभोलकर के मन की बात
    

बाबा केवल यही चाहते थे कि सबका भला हो| बाबा अपने पास आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को सत्य-मार्ग पर चलने के लिए कहते| अच्छाई करने के लिए सबको प्रेरित करते| जो भी व्यक्ति अच्छाई की राह पर चलता, बाबा उसका हौसला और बढ़ाते|

एक बार हेमाडपंत साईं बाबा के दर्शन करने शिरडी गये थे| वहां पर उनके मन में यह विचार आया कि उस परम पावन स्थान पर गुरुवार (बृहस्पतिवार) के दिन राम-नाम का अखण्ड स्मरण और कीर्तन करें| दूसरे ही दिन गुरुवार था|अपने निश्चय को याद करके बुधवार की रात वे राम-नाम लेते-लेते सो गये| गुरुवार को सुबह उठते ही उन्होंने राम-नाम लेना शुरू कर दिया| नित्य काम से निवृत होकर मस्जिद में साईं बाबा के दर्शन करने गए| जब वे बूटीवाड़े के पास से गुजर रहे थे तो मस्जिद के आंगन में औरंगाबादकरनाम के भक्त, संत एकनाथ महाराज का रामभक्ति बताने वाला अमंगा गा रहे थे| उसका अर्थ इस तरह था - "मैंने गुरु-कृपा का काजल पाया है और सब उसे लगाने से राम के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं देता है| मेरे अंदर और बाहर भी राम हैं| मेरे सपनों में भी राम हैं| इतना ही नहीं, मैं जागते हुए और सोते हुए राम को ही देखता हूं, मैं हर जगह राम को ही देखता हूं| सभी कामनाएं पूरी करने वाला राम कण-कण में भरा है और वह जनार्दन के एकनाथ का अनुभव है|"

यह गीत सुनते ही हेमाडपंत सोचने लगे - "बाबा का खेल समझ से बाहर है| मेरे मन की बात जानकर ही उन्होंने औरंगाबादकर से वह अमंगा गवाया होगा| नहीं तो हजारों गीत जानते हुए भी उन्होंने यही अमंगा क्यों गाया? बाबा सब कुछ करते हैं और हम केवल कठपुतलियाँ हैं - और यही सच है| मैंने जो कहा, जो सोचा है वह साईं माँ को पसंद है|' -यह सोचने हुए उन्हें और भी उम्मीद मिली और यह सब मंत्र बाबा से ही मिला| ऐसा सोच के वह पूरा दिन उन्होंने राम-नाम के साथ बिताया|

कल चर्चा करेंगे..किसी से बुरा मत बोलो       

ॐ सांई राम
===ॐ साईं श्री साईं जय जय साईं ===
बाबा के श्री चरणों में विनती है कि बाबा अपनी कृपा की वर्षा सदा सब पर बरसाते रहें ।

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.