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Monday 28 November 2011

बिना गुरु भगवान प्राप्ति संभव नही


ॐ साईं राम

शिर्डी मे साई की कफनी उतारकर और मुकुट चढाकर 'सदगुरू साई' को 'भगवान साई' बना दिया ।


प्रश्न :- गुरुवर्य !! श्री साईबाबा को सदगुरू माने या भगवान या दोनो ही ?
जबाब:- श्री साई चरित्र मे साईबाबा के अत्यंत करीबी म्हालसापती साईबाबा को हमेशा 'गुरुदेव' ही कहते थे क्योंकी साईबाबा ने म्हालसापती को ब्रम्हज्ञान-गुरुमंत्र-उपदेश दिया था । साईबाबा जब ब्रह्म कि तन्द्रा मे जाते तो वे भगवान हो जाते थे और वैसे ही बाते करते थे । ब्रह्म कि तन्द्रा मे ध्येय-ध्यान-ध्याता एकरूप हो जाता हैं । जब वे ब्रह्म कि तन्द्रा से बाहर आते थे तो कहते थे की 'मै आप जैसा साधारण मनुष्य हूँ । कभी कभी साईबाबा अपने गुरु परंपरा कि अपने गुरु कि बाते करते थे और बिना गुरु भगवान प्राप्ति संभव नही कहते । अब जो लोग गुरु परंपरा, सदगुरू पे विश्वास रखने वाले होते हैं वे साई को 'सदगुरू' मानते है और जो गुरु परंपरा , सदगुरू पर विश्वास नही रखते वो साई को 'भगवान' मानते हैं । परन्तु सदगुरू, भगवान से बडा होता हैं, क्योकी बगैर गुरु के भगवान प्राप्ति कतई संभव नही / ब्रह्म की तन्द्रा मे जाना संभव नही ।


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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.