ॐ साईं राम
एक दिन दोपहर की आरती के बाद जब भक्त अपने-अपने घरों की ओर लौट रहे थे तब बाबा ने उन्हें मधुर वाणी में अमृतमय उपदेश देते हुए इस प्रकार कहा- “तुम कुछ भी, जो मर्जी हो करो, लेकिन यह याद रखो कि तुम जो कुछ भी करते हो, वह सब मुझे पता है। मैं ही सब जीवों का स्वामी हूँ और सबके ह्रदयों में वास करता हूँ । संसार के जितने जड़चेतन जीव हैं, वे मेरे ही उदर में समाए हुये हैं। समुचे ब्रह्मांड को नियंत्रित व संचालित करने वाला भी मैं ही हूँ। मैं ही संसार की उत्पत्ति करता हूँ, मैं ही इसका पालन-पोषण करता हूँ और मैं ही संहार करता हूँ। लेकिन जो मेरी भक्ति करते हैं, उन्हें कोई भी, किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुँचा सकता। जो मेरी भक्ति से विमुख (वंचित) रहते हैं, वही माया के मकड-जाल में फँसते हैं।
|| अनंतकोटि ब्रह्माण्ड नायक राजाधिराज योगिराज श्री सच्चिदानंद सद्गुरु श्री साईंनाथ महाराज की जय ||


