ॐ साईं राम
गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे ,सब रंग तेरे रंगरेज तेरे
मुझ दीन के घर जब आओगे ,स्वागत में पलक बिछाऊंगा
मुझ दीन के घर जब आओगे ,स्वागत में पलक बिछाऊंगा
अँसुवन जल से पग धोऊंगा ,और धो धो कर पी जाऊँगा
तू लेकर अपनी शरण मुझे ,फिर चाहे जिस रंग में रंग दे
रंगरेज मेरे सब रंग तेरे ,गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे
जाने कितने दिन बाद मैने ,यह अपना भवन बुहारा है
तुमको कोई भी कष्ट न हो ,इस तरह से इसे संवारा है
इच्छा है मेरी यही प्रभु ,तुम मुझको अब तो अपना लो
गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे , सब रंग तेरे रंगरेज मेरे
तुम सारे जग के मालिक हो ,तुम तो घट घट के वासी हो
तुमको ये कहाँ पसंद ,किसी के चेहरे चढ़ी उदासी हो
हे देव अगर संभव हो तो ,इन आंखो को दर्शन दे दो
तू ले कर अपनी शरण मुझे ,फिर चाहे जिस रंग में रंग दो
गुरु देव मेरे सब रंग तेरे रंगरेज मेरे सब रंग तेरे -----
तू लेकर अपनी शरण मुझे ,फिर चाहे जिस रंग में रंग दे
रंगरेज मेरे सब रंग तेरे ,गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे
जाने कितने दिन बाद मैने ,यह अपना भवन बुहारा है
तुमको कोई भी कष्ट न हो ,इस तरह से इसे संवारा है
इच्छा है मेरी यही प्रभु ,तुम मुझको अब तो अपना लो
गुरुदेव मेरे गुरुदेव मेरे , सब रंग तेरे रंगरेज मेरे
तुम सारे जग के मालिक हो ,तुम तो घट घट के वासी हो
तुमको ये कहाँ पसंद ,किसी के चेहरे चढ़ी उदासी हो
हे देव अगर संभव हो तो ,इन आंखो को दर्शन दे दो
तू ले कर अपनी शरण मुझे ,फिर चाहे जिस रंग में रंग दो
गुरु देव मेरे सब रंग तेरे रंगरेज मेरे सब रंग तेरे -----
यह भजन पंखुड़ियाँ साईं भक्त राजीव जी द्वारा बाबा जी के श्री चरणों में भेंट की गईं | बाबा जी की कृपा इन पर सदा बनी रहे |
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-: आज का साईं सन्देश :-
ठहरे शिर्डी पन्त जी,
घर साठे का होय |
बाबा साहब भी रहें,
चर्चा करते दोय ||
गुरु काहे को चाहिये,
मेरे मन का भाय |
बिना गुरु जीवन नहीं,
बालाजी बतलाय ||
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ठहरे शिर्डी पन्त जी,
घर साठे का होय |
बाबा साहब भी रहें,
चर्चा करते दोय ||
गुरु काहे को चाहिये,
मेरे मन का भाय |
बिना गुरु जीवन नहीं,
बालाजी बतलाय ||
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