पालकी यात्रा का उदेश्य
ॐ सांई राम
पालकी यात्रा शिर्डी की एक परंपरा है इसकी शुरुआत ९ दिसम्बर १९१० में हुई
थी, जब बाबा सगुण (मानव शरीर) रूप से शिर्डी की द्वारकामाई में वास करते
(रहते) थे! बाबा एक दिन द्वारकामाई और एक दिन चावडी जाते थे तो उनकी पालकी
की
एक शोभा यात्रा निकलती थी, जिसमे शिर्डी ही नहीं बल्कि अन्य स्थानों से आए
भक्तगण भाग लेते थे और आनंदित होते थे! यदपि द्वारकामाई से चावडी की दूरी
बहुत अधिक नहीं थी, फिर भी बाजे - गाजे के साथ भजन - कीर्तन, जय - जयकार
करते हुए चावडी पहुचने में काफी समय लग जाता था! नर-नारी, और सभी भक्त एक
अनोखे आनंद का अनुभव करते थे, शिर्डी में यह परम्परा आज भी चल रही है!
पालकी यात्रा के उद्देश्य पर यदि गंभीर रूप से विचार किया जाये तो उसके कुछ
महत्वपूर्ण कारण मिलते है ! पालकी सद्भावना का प्रसार करती है, उसमे सब
मिलकर चलते है, इसके द्वारा जातिगत तथा अन्य सभी प्रकार की विविधता तोड़ने
की भावना जागृत होती है! इसके मूल में असली भाव समानता का है इस शोभायात्रा
में सब सदभाव और आनंद भाव से जाते है! इसके द्वारा बाबा का नाम स्मरण और
बाबा के प्रति प्रेम का अनुभव होता है! गुरु का नाम, कीर्तन और श्रवण करने
एवं बाबा का स्वरुप (फोटो) और बाबा की चरणपादुका लेकर चलने में गुरु के संग
चलने का आनंद भाव उत्पन्न होता है और इससे अध्यात्मिक प्रगति होती है!
Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.
For Daily SAI SANDESH :- Click Here
For Daily SAI SANDESH On Your Mobile
Donate Eyes... Support us...
एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.