श्री गुरु राम दास जी – ज्योति - ज्योत समाना
श्री गुरु राम दास जी – ज्योति - ज्योत समाना
श्री गुरु रामदास जी परिवार और सिख सेवको को यथा स्थान धैर्य व वाहिगुरु के हुकम में रहने की आज्ञा देकर भादव सुदी तीज संवत 1639 को आप शरीर त्यागकर परम ज्योति में विलीन हो गए|
इस प्रथाए अपने सवैइयों में हरबंस भट्ट ने लिखा है:
देवपुरी महि गयउ आपि परमेस्वर भायउ ||
हरि सिंघासणु दीअउ सिरी गुरु तह बैठायउ ||
काटे सु पाप तिनु नरहु के गुरु रामदास जिनु पाइियउ ||
छत्रु सिंघासणु पिरथमी गुरु अरजन कउ दे आइियउ ||२||
कुल आयु और गुरु गद्दी का समय (Shri Guru Ramdas Ji Total Age and Ascension to Heaven)
श्री गुरु रामदास जी कुल 46 साल 7 दिन शरीर करके संसार में रहें|
आप जी 6 साल 11 महीने 18 दिन गुरु गद्दी पर सुशोभित रहे|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.