श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ - झूठ का त्याग व उपदेश
श्री गुरु अर्जन देव जी - साखियाँ
झूठ का त्याग व उपदेश
एक दिन भाई पुरीआ और चूहड़ पट्टी से गुरु जी के दर्शन करने आए| उन्होंने गुरु जी के आगे भेंट रखी व माथा टेका| उन्होंने गुरु जी से प्रार्थना की कि महाराज! हम अपने गाँव के चौधरी है और हमें झूठ भी बहुत बोलना पड़ता है| हम इसका त्याग किस प्रकार करें?
उनकी यह बात गुरु जी ने सुनी और कहने लगे कि आप अपने नगर में एक धर्मशाला बनवाओ| उसमे दो समय सत्संग भी किया करो| आप रोजाना जो झूठ बोलते हे वह दीवान में संगत में सुनाया करो|
गुरु जी कि बात को वह ध्यानपूर्वक सुनते रहे| उन्होंने ऐसे ही किया जैसे गुरु जी ने उनको बोला था| धर्मशाला बनवाई गई| उसमे दो समय सत्संग भी रखा गया| उन्होंने अपना झूठ भी संगत के सामने रखना शरू कर दिया|
जब कुछ दिन ऐसा ही होता रहा,वे लज्जा अनुभव करने लगे| उन्होंने झूठ बोलना कम कर दिया|वे कम से कम झूठ बोलने का यत्न करते| ऐसा करते-२ उनकी झूठ बोलने की आदत ही खतम हो गए|अब वे सच बोलने के आदि हो गए| उन्होंने गुरु जी का लाख-२ शुकराना किया|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.