ॐ सांई राम
एक  गांव मे एक मंदिर मे एक पुजारी था और बो बड़े नियम से भगवान की पूजा करता  था और उसको या गांव वालो को कोई भी परेशानी होती थी तो बो कहता था धैर्य  रखो भगवान सब ठीक कर देगा और सचमुच परेशानिया ठीक हो जाती थी .......एक बार  गांव मे बहुत जोर की बाढ़ आ गयी और सब डूबने लगा तो लोग पुजारी के पास गए  तो उसने कहा की धैर्य रखो सब ठीक हो जायेगा मैं भगवान की इतनी पूजा करता  हूँ सब ठीक हो जायेगा ,लेकिन पानी बढ़ने लगा और गांव वाले भागने लगे और  पुजारी से बोले की अब तो पानी मंदिर मे भी आने लगा हें आप भी निकल चलो यहाँ  से लेकिन पुजारी ने फिर बही कहा की मैं इतनी पूजा करता हूँ तो मेरा कुछ  नहीं बिगड़ेगा तुम लोग जाओ मैं नहीं जाऊँगा.....फिर कुछ दिनों मे पानी और  बढ़ा और मंदिर मे घुस गया तो पुजारी मंदिर पर चढ गया ...फिर उधर से एक नाव  आई और उसमे कुछ बुजुर्ग लोगो ने पुजारी से कहा की सब लोग भाग गए हें और यह  आखिरी नाव हें आप भी आ जाओ इसमें क्योकि पानी और बढ़ेगा ऐसा सरकार का कहना  हें नहीं तो आप डूब जाओगे तो पुजारी ने फिर कहा की मेरा कुछ नहीं होगा  क्योकि मैने इतनी पूजा करी हें जिंदगी भर तो भगवान मेरी मदद करेगे और फिर  बो नाव भी चली गयी ......कुछ दिनों मे और पानी और बढ़ा तो पुजारी मंदिर मे  सबसे ऊपर लटक गया और पानी जब उसकी नाक तक आ गया तो बो त्रिशूल पर लटक गया  और भगवान की प्रार्थना करने लगा की भगवान बचाओ मैने आपकी बहुत पूजा की हें  तो कुछ देर मे एक सेना का हेलिकॉप्टर आ गया और उसमे से सैनिको ने लटक कर  हाथ बढ़ाया और कहा की हाथ पकड़ लो किन्तु फिर बो पुजारी उनसे बोला की मैने  जिंदगी भर भगवान की पूजा करी हें मेरा कुछ नहीं होगा और उसने किसी तरह हाथ  नहीं पकड़ा और परेशान होकर सैनिक चले गए ...फिर थोड़ी देर मे पानी और बढ़ा और  उसकी नाक मे घुस गया और पुजारी मर गया.......
मरने  के बाद पुजारी स्वर्ग मे गया और जैसे ही उसे भगवान जी दिखे तो बो चिल्लाने  लगा की जिंदगी भर मैने इतनी इमानदारी से आप लोगो की पूजा करी फिर भी आप  लोगो ने मेरी मदद नहीं की ...तो भगवान जी बोले की अरे पुजारी जी जब पहली  बार जो लोग आप से चलने को कह रहे थे तो बो कौन था अरे बो मैं ही तो था  ...फिर नाव मे जो बुजुर्ग आप से चलने को कह रहे थे बो कौन था बो मैं ही तो  था और फिर बाद मे हेलिकॉप्टर मे जो सैनिक आप को हाथ दे कर कह रहा था बो कौन  था बो मैं ही तो था किन्तु आप मुंझे उस रूप मे पहचान ही नहीं पाए तो मैं  क्या करू ..... अरे मैं जब किसी मनुष्य की मदद करूँगा तो मनुष्य के रूप मे  ही तो करूँगा चाहे बो रूप डॉक्टर का हो या गुरु का हो या किसी अच्छे इंसान  का या माँ , बाप भाई या बहन का या दोस्त का लेकिन उस रूप मे आप लोग मुंझे  पहचान ही नहीं पाते हो तो मैं क्या करू ..... मेरी बाणी को पहचानने के लिए  ध्यान बहुत जरूरी हें और योग भी तभी इंसान मेरी बाणी को इंसान मे भी पहचान  जायेगा क्योकि सच्चे आदमियो मे मेरी ही बाणी होती हें


