बाबा ने दिवाली पर पानी से दिए जलाए
ॐ सांई राम
बाबा ने दिवाली पर पानी से दिए जलाए
 
 
 
श्री साईं  बाबा संध्या समय गाँव में जा कर दुकानदारों से भिक्षा में तेल मांगते और  मस्जिद में दिए जलाया करते थे | सन 1892  दिवाली के दिन बाबा गाँव के  दुकानदारों से तेल मांगने गए लेकिन वाणी (तेल देने वालों) ने तेल देने से  मना कर दिया | सभी दुकानदारों ने आपस में यह निश्चित किया था की वह बाबा को  भिक्षा में तेल न दे कर अपना महत्व दर्शाएंगे | अहंकार से भरकर उन्होंने यह  भी कहा की देखते है बाबा ! आज किस प्रकार मस्जिद में दिए जलाते है ? अत:  बाबा को खाली हाथ ही मस्जिद में लौटना पड़ा | कुछ समय पश्चात ही सभी  दुकानदार एवं गाँव के कुछ लोग मस्जिद में गए और उन्होंने देखा :- 
 
 
"बाबा के टीन में पिछले दिन का कुछ तेल था | उन्होंने मस्जिद में रखे घड़े से पानी  टीन में डाला और तेल में मिला दिया | उन्होंने वह तेल - मिश्रित पानी अपने  मुहं में पीया और पुन: टीन में उलट दिया | वह पानी उन्होंने मस्जिद में  रखे दीयों में डाल दिया और बातीं लगा कर दियें जला दिए | 
  
आश्चर्य  ! पानी के दिए सारी रात जले | यह देख कर सभी दुकानदारों ने बाबा से क्षमा -  याचना की एवं प्रतिदिन उन्हें स्वयं ही तेल देने लगे |"  
 
 
 
 
 
          
      
 
 
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  एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो  ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके  पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी  वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों  से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने  के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे  डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ  रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं.  #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.