श्री गुरु अंगद देव जी -साखियाँ - खडूर का मिरगी रोग वाला शराबी
खडूर के चौधरी को मिरगी का रोग था| वह शराब का बहुत सेवन करता था| एक दिन गुरु जी के पास आकर विनती करने लगा कि आप तो सब रोगियों का रोग दूर कर देते हो, आप मुझे भी ठीक कर दो| लोगों की बातों पर मुझे विश्वास तब आएगा जब मेरा मिरगी का रोग दूर हो जायेगा| गुरु जी कहने लगे चौधरी! अगर तू शराब पीना छोड़ दे तो तेरा मिरगी रोग दूर हो जायेगा| पर यदि तू फिर शराब पीने लग गया तो यह रोग तुझे फिर लग जायेगा| चौधरी गुरु जी को शराब ना पीने का वचन देकर चलागया| उसे फिर मिरगी का रोग ना हुआ|
समय बीतता गया| एक दिन उसने फिर शराब पी ली, और शराबी होकर अपने मकान की छत पर चढ़ गया| छत से ही गुरु जी की तरफ मुख करके जोर-जोर से कहने लगा, गुरु जी मैंने आज फिर शराब पी ली है मुझे कोई मिरगी का रोग नहीं हुआ| गुरु जी कहने लगे, सावधान हो जाओ तुम्हें मिरगी का रोग लग चुका है| तब उसी ही पल चौधरी को मिरगी का दौरा पड़ा| वह अपनी छत से उलटकर नीचे आ गिरा और उसकी मौत हो गई| इस तरह वह चौधरी गुरु जी के वचनों को भुलाकर, मनमत में आकर अपनी जिंदगी से ही हाथ धो बैठा|
समय बीतता गया| एक दिन उसने फिर शराब पी ली, और शराबी होकर अपने मकान की छत पर चढ़ गया| छत से ही गुरु जी की तरफ मुख करके जोर-जोर से कहने लगा, गुरु जी मैंने आज फिर शराब पी ली है मुझे कोई मिरगी का रोग नहीं हुआ| गुरु जी कहने लगे, सावधान हो जाओ तुम्हें मिरगी का रोग लग चुका है| तब उसी ही पल चौधरी को मिरगी का दौरा पड़ा| वह अपनी छत से उलटकर नीचे आ गिरा और उसकी मौत हो गई| इस तरह वह चौधरी गुरु जी के वचनों को भुलाकर, मनमत में आकर अपनी जिंदगी से ही हाथ धो बैठा|