श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - एक माई का पुत्र जीवित करना
श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - एक माई का पुत्र जीवित करना
एक विधवा माई जो की गोइंदवाल में रहती थी उसका पुत्र बुखार से मर गया| वह रात्रि से समय ऊँची ऊँची रोने लगी| उसका ऐसा विर्लाप सुनकर गुरु अमरदास जी माई के घर गये और अपने चरण बच्चे के माथे पर धरे| गुरु जी के चरण माथे पर लगते ही बेटा जीवित हो गया| गुरु जी ने अपने सेवक बल्लू को कहा कि मरे हुए को जिन्दा करना इश्वर के हुकम के विरुद्ध है इस करण आगे से जब तक हमारा शरीर रहेगा तब तक कोई बच्चा माता - पिता के सामने नहीं मरेगा|
ऐसा वचन करके गुरु जी अपने आसन पर सुशोभित हो गये|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.