श्री गुरु अमर दास जी – साखियाँ - रानी का पागलपन दूर करना
गुरु जी ने आगे से कहा राजा पहले लंगर से प्रसाद खाकर हमारे पास आए, अगर उसकी रानियाँ भी आना चाहे तो पहले व सफेद वस्त्र पहनकर आए| याद रहे ना ही कोई रंगदार वस्त्र पहने और ना ही कोई मूँह ढ़के| राजा व रानी ने गुरु जी का आज्ञा का पूरी तरह से पालन किया| परन्तु एक रानी ने गुरु जी के पास बैठे हुए एक सिख को देखकर घूँघट निकाल लिया| गुरु जी उसको देखकर कहने लगे ये पागल किसलिए आई है क्या इसको हमारे दर्शन करने अच्छे नहीं लगते? आप जी के ऐसे वचन सुनकर रानी ने अपनी सुध - बुध खो ली व चीखें मारती हुई बाहर को भाग गई| यह देखकर राजा बड़ा चिंतित हुआ|
गुरु जी ने सावण मल को वह वर शक्ति फिर प्रदान कर दी और कहा कि हरीपुर जाकर गुरु सिखी का प्रचार करो| फिर कभी इस शक्ति का अहंकार ना करना| उसी पागल रानी की शादी गुरु जी ने अपने एक सिख सचन के साथ कर दी जो कि लंगर के लिए लकडियां लाता था| गुरु जी ने अपनी कृपा दृष्टि से पागल रानी को भी ठीक कर दिया|