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Tuesday, 3 December 2013

श्री साईं अमृत वाणी

ॐ साँई राम जी 



 श्री साईं अमृत वाणी


 श्री सच्चिदानन्द सतगुरु साईं नाथ महाराज की जय

नमो नमो पावन साईं , नमो नमो कृपाल गौसाई

साईं अमृत पद पावन वाणी , साईं नाम धुन सुधा समानी ||१||

नमो नमो संतन प्रतिपाला , नमो नमो श्री साईं दयाला
परम सत्य है परम विज्ञान , ज्योति स्वरूप साईं भगवान् ||२||

नमो नमो साईं अविनाशी , नमो नमो घट घट के वासी
साईं धवनी नाम उच्चारण , साईं राम सुख सिद्धि कारण ||३||

नमो नमो श्री आत्म रामा ,नमो नमो प्रभु पूर्ण कामा
अमृतवाणी साईं राम , साईं राम मुद मंगल धाम ||४||

साईं नाम मंत्र जप जाप , साईं नाम मते त्रयी ताप
साईं धुनी में लगे समाधी , मिटे सब आधि व्याधि उपाधि ||५||

साईं जाप है है सरल समाधि , हरे सब आधि व्याधि उपाधि
रिद्धी-सिद्धी और नव निधान , डाटा साईं है सब सुख खान ||६||

साईं साईं श्री साईं हरी , भक्ति वैराग्य का योग
साईं साईं श्री साईं जप , दाता अमृत भोग ||७||

जल थल वायु तेज आकाश , साईं से पावे सब प्रकाश
जल और पृथ्वी साईं माया , अंतहीन अंतरिक्ष बनाया ||८||

नेति नेति कह वेड बखाने , भेद साईं का कोइ न जाने 
साईं नाम है सब रस सार , साईं नाम जग तारण हार||९||

साईं नाम के भरो भण्डार , साईं नाम का सद्व्यवहार
इहाँ नाम की करो कमाई , उहाँ न होय कोई कठिनाई ||१०||


झोली साईं नाम से भरिए , संचित साईं नाम धन करिए

जुड़े नाम का जब धन माल , साईं कृपा ले अंत संभाल ||११||

साईं साईं पद शक्ति जगावे , साईं साईं धुन जभी रमावे
साईं नाम जब जगे अभंग , चेतन भाव जगे सुख संग ||१२||

भावना भक्ति भरे भजनीक , भजते साईं नाम रमणीक
भजते भक्त भाव भरपूर , भ्रम भय भेदभाव से दूर ||१३||

साईं साईं सुगुणी जन गाते , स्वर संगीत से साईं रिझाते
कीर्तन कथा करते विद्वान , सर सरस संग साधनवान ||१४||

काम क्रोध और लोभ ये , तीन पाप के मूल
नाम कुल्हाड़ी हाथ ले , कर इनको निर्मूल ||१५||

साईं नाम है सब सुख खान , अंत कर सब का कल्यान 
जीवन साईं से प्रीति करना , मरना मन से साईं न बिसरना ||१६|| 

साईं भजन बिन जीवन जीना , आठो पहर हलाहल पीना
भीतर साईं का रूप समावे , मस्तक पर प्रतिमा चा जावे ||१७|| 

जब जब ध्यान साईं का आवे , रोम रोम पुलकित हो जावे
साईं कृपा सूरज का उगना , हृदय साईं पंकज का खिलना ||१८|| 

साईं नाम मुक्ता मणि , राखो सूत पिरोय
पाप ताप न रहे , आत्मा दर्शन होय ||१९||

सत्य मूलक है रचना सारी , सर्व सत्य प्रभु साईं पासरी 
बीज से तरु मकडी से तार , हुआ त्यों साईं से जग विस्तार ||२०||


साईं का रूप हृदय में धारो , अन्तरमन से साईं पुकारो

अपने भगत की सुनकर टेर , कभी न साईं लगाते देर ||२१||

धीर वीर मन रहित विकार , तन से मन से कर उपकार
सदा ही साईं नाम गुण गावे , जीवन मुक्त अमर पद पावे ||२२||

साईं बिना सब नीरस स्वाद , ज्यों हो स्वर बिना राग विषाद
साईं बिना नहीं सजे सिंगार , साईं नाम है सब रस सार ||२३||

साईं पिता साईं ही माता , साईं बंधु साईं ही भ्राता
साईं जन जन के मन रंगन , साईं सब दुःख दर्द विभंजन ||२४||

साईं नाम दीपक बिना , जन मन में अंधेर
इसी लिये है मम मन , नाम सुमाला फेर ||२५||

जपते साईं नाम महा माला ,लगता नरक द्वार पे ताला
राखो साईं पर इक विश्वास , सब ताज करो साईं करो आस ||२६||

जब जब चडे साईं का रंग , मन में छाए प्रेम उमंग
जपते साईं साईं जप पाठ , जलते कर्मबंध यथा काठ ||२७||

साईं नाम सुधा रस सागर , साईं नाम ज्ञान गुण आगर
साईं जप रवि तेज समान , महा मोह तम हरे अज्ञान ||२८||

साईं नाम धुन अनहद नाद , नाम जपे मन हो विस्माद
साईं नाम मुक्ति का दाता , ब्रह्मधाम वह खुद पहुंचाता ||२९||

हाथ से करिए साईं का कार , पग से चलिए साईं के द्वार
मुख से साईं सिमरण करिए , चित सदा चिंतन में धरिए ||३०||


कानों से यश साईं का सुनिए , साईं धाम का मार्ग चुनिए

साईं नाम पद अमृतवाणी , साईं नाम धुन सुधा समानी || ३१||

आप जपो औरों को जपावो , साईं धुनि को मिलकर गावो
साईं नाम का सुन कर गाना , मन अलमस्त बने दिवाना ||३२||

पल पल उठे साईं तरंग , चडे नाम का गुडा रंग
साईं कृपा है उच्चतर योग , साईं कृपा है शुभ संयोग ||३३||

साईं कृपा सब साधन मर्म , साईं कृपा संयम सत्य धर्म
साईं नाम को मन में बसाना , सुपथ साईं कृपा का है पाना ||३४||

मन में साईं धुन जब फिरे , साईं कृपा तब ही अवतरे
रहूँ मैं साईं में हो कर लीन , जैसे जल में हो मीन अदीन ||३५||

साईं नाम को सिमरिये , साईं साईं इक तार
परम पाठ पावन परम , करता भाव से पार ||३६||

साईं कृपा भरपूर मैं पाऊं , परम प्रभु को भीतर लाऊं
साईं ही साईं कह मीत , साईं से कर साची प्रीत ||३७||

साईं साईं का दर्शन करिए , मन भीतर इक आनन्द भरिय
साईं की जब मिल जाए शिक्षा , फिर मन में कोई रहे न इच्छा ||३८||

जब जब मन का तार का हिलेगा , तब तब साईं का प्यार मिलेगा
मिटेगी जग से आनी जानी ,जीवन मुक्त होय यह प्राणी ||३९||

शिर्डी के साईं हरि , तीन लोक के नाथ

बाबा हमारे पावन प्रभु , सदा के संगी साथ || ४०||

साईं धुन जब पकडे जोर , खींचे साईं प्रभु अपनी ओर

मंदिर बस्ती बस्ती , चा जाए साईं नाम की मस्ती ||४१||

अमृत रूप साईं गुण गान , अमृत कथन साईं व्याख्यान
अमृत वचन साईं की चर्चा , सुधा सम गीत साईं की अर्चा ||४२||

शुभ रसना वही कहाये , साईं नाम जहां नाम सुहाये
शुभ कर्म है नाम कमाई , साईं राम परम सुखदाई ||४३||

जब जी चाहे दर्शन पाइये , जय जय कार साईं की गाइये
साईं नाम की धुनि लगाइये , सहज ही भाव सागर तर जाइये ||४४||

बाबा को जो भजे निरंतर , हर दम ध्यान लगावे
बाबा में मिल जाये अंत में , जन्म सफल हो जाये ||४५||

धन्य धन्य हे साईं उजागर , धन्य धन्य करुणा के सागर
साईं नाम मुदमंगलकारी , विघ्न हरो सब पातक हारी ||४६||

धन्य धन्य श्री साईं हमारे , धन्य धन्य भकतन रखवारे
साईं नाम शुब शकुन महान , स्वस्ति शान्ति शिवकर कल्याण ||४७||

धन्य धन्य सब जग के स्वामी , धन्य धन्य श्री साईं नमामी
साईं साईं मन मुख से गाना , मानो मधुर मनोरथ पाना ||४८||

साईं नाम जो जन मन लावे , उस में शुभ सभी बस जावे
जहां हो साईं नाम धुन नाद , भागे वहां से विषम विषाद ||४९||

साईं नाम मन तप्त बुझावे , सुधा रस सींच शान्ति ले आवे
साईं साईं जपिये कर भाव , सुविधा सुविधि बने बनाव ||५०||


छल कपट और खोट है , तीन नरक के द्वार

झूठ करम को छोड़ कर , करो सत्य व्यवहार ||५१||

लेने वाले हाथ दो, साईं के सौ द्वार
एक द्वार को पूज ले, हो जाएगा पार ||५२||

जहां जगत में आवो जावो , साईं सुमीर साईं को गावो
साईं सभी में एक समान , सब रूप को साईं का जान ||५३||

मैं और मेरा कुछ नहीं अपना , साईं का नाम सत्य जग सपना
इतना जान लेहु सब कोय , साईं को भजे साईं को होय ||५४||

ऐसे मन जब होवे लीन , जल में प्यासी रहे न मीन
चित चडे इक रंग अनूप , चेतन हो जाए साईं स्वरूप ||५५||

जिसमें साईं नाम शुभ जागे , उसके पाप ताप सब भागे
मन से साईं नाम जो उच्चारे , उसके भागे भ्रम भय सारे ||५६||

सुख दुःख तेरी देन है , सुख दुःख में तूं आप
रोम - रोम में है तूं साईं , तूं ही रहयो व्याप ||५७||

जय जय साईं सच्चिदानन्दा , मुरली मनोहर परमानन्दा
पारब्रम्हा परमेश्वर गोविंदा , निर्मल पावन ज्योति अखंडा ||५८||

एकै इ सब खेल रचया , जो दीखे वो सब ही माया
एको एक एक भगवान् , दो को ही तूं माया जान ||५९||

बाहर भरम भूले संसार , अन्दर प्रीतम साईं अपार

जा को आप चाहे भगवंत , सो ही जाने साईं अनन्त ||६०||

जिस में बस जाए साईं सुनाम , होवे वह जन पूर्ण काम

चित में साईं नाम जो सिमरे , निश्चय भव सागर से तरे ||६१||

साईं सिमरन होवे सहाई , साईं सिमरन है सुखदाई
साईं सिमरन सब से ऊँचा , साईं शक्ति सुख ज्ञान समूचा ||६२||

सुख दाता आपद हरन , साईं गरीब निवाज
अपने बच्चों के साईं , सभी सुधारे काज ||६३||

माता पिता बांधव सूत द्वारा , धन जन साजन सखा प्यारा
अंत काल दे सके न सहारा , साईं नाम तेरा तारन हारा ||६४||

आपन को न मान शरीर , तब तूं जाने पर की पीर
घाट में बाबा को पहचान , करन करावन वाला जान ||६५||

अंतरयामी जा को जान , घाट में देखो आठों याम
सिमरन साईं नाम है संगी , सुख स्नेही सुकद शुभ अंगी ||६६||

युग युग का है साईं सहेला , साईं भक्त नहीं रहे अकेला
बाधा बड़ी विषम जब आवे , वैर विरोध विघ्न बड़ जावे ||६७||

साईं नाम जपिये सुख दाता , सच्चा साथी जो हितकर त्राता
पूंजी साईं नाम की पाइये , पाथेय साथ नाम ले जाएये ||६८||

साईं जाप कही ऊँची करणी , बाधा विघ्न बहु दुःख हरणी
साईं नाम महा मंत्र जपना , है सुव्रत नेम ताप तपना ||६९||

बाबा से सांची प्रीत , यह है भगत जानो की रीत
तूं तो बाबा का अंग , जैसे सागर बीच तरंग ||७०||

दीन दुःखी के सामने , झुकता जिसका शीश
जीवन भर मिलता उसे , बाबा का आशीष ||७१||

लेने वाले हाथ दो , साईं के सौ द्वार
एक द्वार को पूज ले , हो जाएगा पार ||७२ ||


विशेष आभार : श्री अंकित कपूर जी 

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.