ॐ सांई राम
कभी कभी बाबा जी
मुझे सारी रात जगाते हैं,
जागते हुए मुझे वे
जागते हुए मुझे वे
कईं ख्वाब दिखाते हैं,
खवाबों में ही फिर
खवाबों में ही फिर
बाबा मुझे उलझाते हैं,
परीक्षा लेने को मेरी,
परीक्षा लेने को मेरी,
प्रलोभन दे कर ललचाते हैं,
दिल और दिमाग,
दिल और दिमाग,
मुझे दो-धारी तलवार पर चलाते हैं,
तब, मेरे खूब उलझ जाने पर
तब, मेरे खूब उलझ जाने पर
बाबा मंद-मंद मुस्कराते हैं,
जाने कैसी कैसी लीला
जाने कैसी कैसी लीला
करते हैं और दिखाते हैं,
अक्सर, बाबा जी
अक्सर, बाबा जी
रातों में मुझे हंसाते हैं,
भोर होने पर जब
भोर होने पर जब
सब लोग जाग जाते हैं,
बाबा की आरती कर के
बाबा की आरती कर के
उन्हें स्नान कराते हैं,
पर, उस से पहले
पर, उस से पहले
बाबा जी लीला दिखाते हैं,
मेरी अखिओं से ओझल हो,
मेरी अखिओं से ओझल हो,
उनमे नींद भर जाते हैं,
ऐसे, चुपके से बाबा जी
ऐसे, चुपके से बाबा जी
मुझे सुला जाते हैं,
कल फिर से आने की
कल फिर से आने की
उम्मीद दे जाते हैं,
मेरे बाबा, मेरे साईं
मेरे बाबा, मेरे साईं
मुझे अपने दर्शन दे जाते हैं ||