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Sunday, 2 October 2011

माँ कात्यायनी

चन्द्रहासोजज्वलकरा   शार्दूलवरवाहना |
कात्यायनी शुभं दधादेवी दानवघातिनी ||


माँ दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम कात्यायनी है | इनका कात्यायनी नाम पड़ने की कथा इस प्रकार है - कत नाम के एक प्रसिद्ध महार्षि थे | उनके पुत्र ऋषि कात्य हुए | इन्ही कात्य के गोत्र में महार्षि कात्यायन उत्पन हुए थे | इन्होने भगवती पराम्बा की बहुत कठिन उपासना की थी | उनकी इच्छा थी की माँ भगवती उनके घर पुत्री रूप में जन्म ले | माँ भगवती ने उनकी ये प्रार्थना स्वीकार कर ली | कुछ काल पश्चात जब दानव महिषासुर का अत्याचार पृथ्वी पर बहुत बढ़ गया जब ब्रम्हा, विष्णु, महेश तीनो ने अपने अपने तेज का अंश देकर महिषासुर के विनाश के लिए एक देवी को उत्पन किया | इन देवी ने महार्षि कात्यायन के घर पुत्री रूप में जन्म लिया | महार्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इनकी पूजा की | इसी कारण ये कात्यायनी कहलाई |

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.