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Monday, 24 October 2011

आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं ... ॐ साईं राम


ॐ सांई राम



ये पंक्तिया मेरी नहीं, जाने कहा से आई है,
ये मेरे साईं ने दी है, उसने खुद लिखवाई है |
मेरी औकात ही क्या है, जो कुछ मैं लिखूँ या मैं बोलूँ ,
ये साईं ने ही खुद ही हैं, उसने खुद लिखवाई है ||
ये पंक्तिया मेरी नहीं, जाने कहा से आई है,
ये मेरे साईं ने दी है, उसने खुद लिखवाई है |


सुना है मेने साईं जी, सभी के मन में बसते है,
वो दुःख में साथ रोते है, वो सुख में सँग हस्ते है |
ये हैं जज्बात सुख-दुःख की, ये हैं एहसास सुख दुःख की,
ये साईं ने ही भेजी है, ये मेरे में आई है ||
ये पंक्तिया मेरी नहीं, जाने कहा से आई है,
ये मेरे साईं ने दी है, उसने खुद लिखवाई है |
सुना है कर्म करने को, प्रभु ज़रिया बनता है,
है करता वो ही सबकुछ है, पर सामने न आता है ||
है मुमकिन हाथ-जीभ मेरी, बनाई हो उसने ज़रिया,
ये लिखने वाला भी वो है, ये बोलने वाला साईं है ||
ये पंक्तिया मेरी नहीं, जाने कहा से आई है,
ये मेरे साईं ने दी है, उसने खुद लिखवाई है |



शुक्रगुजार हु साईं का, मुझे इस काबिल जो समझा,
मैं शुक्रगुजार हु आपका भी, जो इतनी इज्ज़त को बख्शा |
मैं गुनाहगार हु पहले, जो कोई गुस्ताखी हुई हो,
मैं जर्रा आफताब वो है, मैं 'दास' वो मेरा साईं है||
ये पंक्तिया मेरी नहीं, जाने कहा से आई है,
ये मेरे साईं ने दी है, उसने खुद लिखवाई है |
 
 
 

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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.