ॐ साईं राम
साईं तेरे दरबार से कोई खाली न जाए,
जो आये एक बार, इसी दर का हो जाए |
बाबा इस दरबार की कोई नहीं है काट,
धनी हो या ग़रीब हो, तुम रहे हो खुशियाँ बाँट |
प्याला श्रद्धा-सबूरी का जो पीये इक बार,
कोई कष्ट न आये उस पर हो जाए उद्धार |
साईं तेरे प्यार को ये मन तरस रहा,
आंसू ऐसे छलक रहे जैसे बादल बरस रहा |
इन आंसुओं का बाबा मेरे कुछ तो मूल्य डाल,
कुछ ऐसा अब कर दे तेरे दर पे आऊं हर साल |
साईं तेरे दरबार में कोई कमी नहीं,
बन जाऊं चाकर तेरा तो कोई ग़मी नहीं |
साईं तेरे दरबार की गर नौकरी मिल जाए,
सच कहता हूँ बाबा फिर मुझे और कुछ न भाये |
तेरे दर की चौखट को सदा रहूँगा चाट,
रोटी देना- न देना फिर कोई नहीं है बात |
तेरे दर पर प्राण ये निकलें यह इच्छा है मेरी,
बाबा उस समय जल्दी आना न लगाना देरी |