श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ - सिंघा द्वारा गुरु का वचन मानना
श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ
सिंघा द्वारा गुरु का वचन मानना
अलीशेर से गुरु जी जोगे गाँव आए| आप ने भोपाला गाँव में डेरा लगाया| वहाँ रात ठहर कार आप खीवा कलां जा ठहरे| इस गाँव का एक किसान रोज आपके दर्शन को आता| वह तीन घड़ी बैठा भी रहता| परन्तु एक दिन वह माथा टेक कर झटपट ही उठकर चला गया|गुरु जी ने उससे इसका कारण पूछा कि आज आप जल्दी क्यों जा रहे हो?
सिंघा ने कहा कि गुरु जी आज एक व्यक्ति के यहाँ सगाई है| वहाँ सबको गुड़ मिलना है| मुझे भी अपने हिस्से का गुड़ लेने जाना है| गुरु जी ने वचन किया कि आप यहाँ धैर्य सहित बैठे रहे| आपको घर बैठे ही दो बाँटने आ जाया करेंगे| गुरु जी का वचन सुनकर सिंघा वहीं बैठा रहा|
उधर जिसके घर सगाई थी, जब उसे इस बात का ज्ञान हुआ कि सिंघा गुरु जी के पास बैठा है तो गाँव के चौधरी ने कहा कि साधू संत के पास जाना ठीक है| आगे से तुम्हें उसे दो बाँटने वाले दिया करो| यदि वह खुद ना लेने आए तो उसके घर दे आया करो| उस दिन से सिंघा को दो बाँटने वाले मिलने लगे|
सिंघा के बिना इस गाँव का और कोई भी आदमी गुरु जी के दर्शन करने नहीं आया| सिंघा बहुत प्रसन्न था कि उसने गुरु जी के वचनों को मानकर कितना अच्छा किया|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.