श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ - एक पीर का भ्रम निवृत करना
श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ
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एक पीर का भ्रम निवृत करना
एक दिन एक पीर जी कि रोपड़ में रहता था अपने मुरीदो से कार भेंट लेता हुआ आनंदपुर आया| गुरु जी के दरबार की महिमा संगत का आना-जाना तथा लंगर चलता देख वह बड़ा प्रभावित हुआ| उसने एक सिख से पूछा यह किस गद्दी का गुरु है? सिख ने कहा यह गुरु नानक साहिब जी की गद्दी पर बैठे नौवें गुरु श्री गुरु तेग बहादर जी हैं| पीर ने कहा गुरु नानक जी तो बड़े बली महापुरुष हुए हैं| अगर यह इनकी गद्दी पर विराजमान हैं तो इनमे भी शक्ति होनी चाहिए| सिख ने कहा गुरु जी वैराग्य के पुंज और शक्ति के मालिक हैं|
पीर ने अगला प्रशन किया कि गुरु जी ग्रहस्थी हैं या फकीर? सिख ने उत्तर दिया की गुरु जी ग्रहस्थी हैं| गुरु नानक देव जी भी ग्रहस्थी थे| पीर ने फिर कहा वैराग्य गुरु पीर होकर फिर यह ग्रहस्थ का आडम्बर क्यों?
इसके पश्चात पीर ने गुरु जी के दर्शन करके जब यही सवाल पूछा तो गुरु जी ने कहा साईं लोगों! ग्रहस्थ सब धर्मों से ऊँचा है| यह सारे पीरो-फकीरों, ऋषि-मुनियों को पैदा करता है फिर सबकी गुजरान का आधार रहता है| जो पुरुष ग्रहस्थ धर्म में पूरे उतरते हैं उन्हें अन्तिम समय मुक्ति प्राप्त होती है|
ग्रहस्थ का धर्म है अतिथि की सवा करनी तथा अपनी नेक कमाई से पुण्य दान करना| ऐसा ग्रहस्थी परम सुख प्राप्त करता है|
गुरु जी से यह बात सुनकर पीर ने गुरु जी को माथा टेका और कहा कि अब मुझे इस बात का ज्ञान हो गया है की ग्रहस्थ धर्म पुरुष का मुख्य उदेश्य है इसको बुरा समझना एक बड़ी भूल है|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.