श्री गुरु गोबिंद सिंह जी – साखियाँ - सोने का कड़ा गंगा नदी में फैंकना
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी – साखियाँ
सोने का कड़ा गंगा नदी में फैंकना
एक दिन गुरु गोबिंद सिंह जी गंगा में नाव की सैर कर रहे थे| सैर करते हुए आपके हाथ से सोने का कड़ा दरिया में गिर गया| आप जब घर पहुँचे तो माता जी ने आपसे पूछा बेटा! आपका कड़ा कहाँ है? तब आपने माता जी को उत्तर दिया, माता जी! वह दरिया में गिरकर खो गया है|
माता जी फिर से पूछने लगी कि बताओ कहाँ गिरा है? गुरु जी माता जी को लेकर गंगा नदी के किनारे आ गए| उन्होंने अपने दूसरे हाथ का कड़ा भी उतारकर पानी में फैंक कर कहा कि यहाँ गिरा था| आप की यह लापरवाही देख कर माता जी को गुस्सा आया| वह उन्हें घर ले आई|
घर आकर गुरु जी ने माता जी को बताया कि माता जी! इन हाथों से ही अत्याचारियों का नाश करके गरीबों की रक्षा करनी है| इनके साथ ही अमृत तैयार करके साहसहीनों में शक्ति भरकर खालसा साजना है| यदि इन हाथों को माया के कड़ो ने जकड़ लिया, तो फिर यह काम जो अकाल पुरख ने करने की हमें आज्ञा की है वह किस तरह पूरे होंगे? जुल्म को दूर करने के लिए इन हाथों को लोहे जैसे शक्तिशाली मजबूत करने के लिए लोहे का कड़ा पहनना उचित है| अतः खालसा पंथ सजाकर आपने सिखों को लोहे का कड़ा ही पहनने का हुक्म किया, जो जगत प्रसिद्ध है|
गंगा नदी के जिस घाट पर आप जी खेलते व स्नान करते थे, उसका नाम गोबिंद घाट प्रसिद्ध है|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.