श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ - खारा कूआँ मीठा करना
श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ
खारा कूआँ मीठा करना
श्री गुरु तेग बहादर जी जब गाँव मूलोवाल पहुँचे तो मईया व गोदे ने आपकी खूब सेवा की| गुरु जी को बहुत प्यास लगी| उन्होंने पीने के लिए पानी मंगवाया| परन्तु पानी बहुत खारा था| गुरु जी ने उनसे पूछा कि यहाँ कोई मीठे पानी का कूआँ नहीं है? तब मईया ने कहा कि महाराज! मीठे पानी का कूआँ गाँव से बहुत दूर है| यदि आप हुक्म करो तो वहाँ से मीठा पानी ले आऊँ|
गुरु जी ने वचन किया जाओ वाहि गुरु कहकर यहाँ से ही हमारे पीने के लिए जल ले आओ| येही मीठा हो जायेगा| गुरु जी का वचन मानकर गोंदा ने वैसा ही किया जैसा गुरु जी ने कहा था| गोंदा जब पानी लाया तो गुरु जी ने पी कर बताया कि यह जल बहुत ठंडा और मीठा है| आज से यह कूआँ गुरु का कहावेगा|
जब लोगों को यह ज्ञात हुआ कि गुरु जी के वचनों से खारे कूएँ का पानी मीठा हो गया है, तो संगत श्रद्धा से साथ भेंट लेकर आपके दर्शन को आई| इस गाँव में आपने दो दिन विश्राम किया| मईया के प्रेम और श्रद्धा से खुश होकर उसको गाँव का चौधरी बना दिया|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.