श्री गुरु गोबिंद सिंह जी – साखियाँ - अरदास की महत्ता
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी – साखियाँ
अरदास की महत्ता
एक दिन उजैन शहर के रहने वाले एक सिक्ख बशंबर दास ने गुरु जी के आगे प्रार्थना की कि सच्चे पातशाह! मुझे धन कि बख्शिश करो| मेरे घर बड़ी गरीबी है|
सतिगुरु जी ने फ़रमाया कि भाई! सिक्ख को हर कार्य के प्रारम्भ के समय कड़ाह प्रसाद करके उसे पवित्र चौंकी पर रख कर ऊपर साफ़ कपड़े से ढक कर पास बैठ कर पूरी पवित्रता से जपुजी साहिब का पाठ करना या करवाना चाहिए| इसके पश्चात कार्य कि सफलता के लिए खड़े होकर हाथ जोड़कर नम्रता से अरदास करनी अथवा करवानी चाहिए| फिर जो भी कार्य होगा अवश्य सिद्ध होगा|
घर जाकर भी तुम इस तरह कि ही अरदास करवाना , तेरे घर बहुत धन और सुख सम्पदा कि बख्शिश होगी| हे बशंबर दास! हरेक सिक्ख कि यह अरदास होनी चाहिए|
बशंबर दास ने कहा,गुरु जी! महलों और दुशालों में रहते अथवा अति गरीबी के समय हर हालात में आप जी के चरणों का भरोसा मेरे ह्रदय में ज्यों का त्यों बना रहे| मेरा मन सिक्खी भरोसे से न डोले|
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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.