श्री गुरु तेग बहादर जी – साखियाँ
श्री दसमेश जी का गर्भ
प्रवेश
प्राग राज के निवास समय एक दिन माता नानकी जी ने स्वाभाविक श्री गुरु तेग बहादर जी को कहा कि बेटा! आप जी के पिता ने एक बार मुझे वचन दिया था कि तेरे घर तलवार का धनी बड़ा प्रतापी शूरवीर पोत्र इश्वर का अवतार होगा|मैं उनके वचनों को याद करके प्रतीक्षा कर रही हूँ कि आपके पुत्र का मुँह मैं कब देखूँगी| बेटा जी! मेरी यह मुराद पूरी करो,जिससे मुझे सुख कि प्राप्ति हो|
अपनी माता जी के यह मीठे वचन सुनकर गुरु जी ने वचन किया कि माता जी! आप जी का मनोरथ पूरा करना अकाल पुरख के हाथ मैं है|हमें भरोसा है कि आप के घर तेज प्रतापी ब्रह्मज्ञानी पोत्र देंगे|
गुरु जी के ऐसे आशावादी वचन सुनकर माता जी बहुत प्रसन्न हुए|माता जी के मनोरथ को पूरा करने के लिए गुरु जी नित्य प्रति प्रातकाल त्रिवेणी स्नान करके अंतर्ध्यान हो कर वृति जोड़ कर बैठ जाते व पुत्र प्राप्ति के लिए अकाल पुरुष कि आराधना करते|
गुरु जी कि नित्य आराधना और याचना अकाल पुरख के दरबार में स्वीकार हो गई|उसुने हेमकुंट के महा तपस्वी दुष्ट दमन को आप जी के घर माता गुजरी जी के गर्भ में जन्म लेने कि आज्ञा की|जिसे स्वीकार करके श्री दमन (दसमेश) जी ने अपनी माता गुजरी जी के गर्भ में आकर प्रवेश किया
श्री दसमेश जी अपनी जीवन कथा बचितर नाटक में लिखते है-
चौपाई
मुर पित पूरब कीयसि पयाना|| भांति भांति के तीरथि नाना||
जब ही जात त्रिबेणी भए ||पुन्न दान दिन करत बितए||१||
तही प्रकास हमारा भयो|| पटना सहर बिखे भव लयो||२||
(दशम ग्रन्थ :बिचित्र नाटक ,७वा अध्याय)
जब ही जात त्रिबेणी भए ||पुन्न दान दिन करत बितए||१||
तही प्रकास हमारा भयो|| पटना सहर बिखे भव लयो||२||
(दशम ग्रन्थ :बिचित्र नाटक ,७वा अध्याय)