ॐ साईं राम
शिर्डी जो भी जाए ,
मेरा संदेसा लेकर जाए,
बाबा जी को कहना,
मेरा संदेसा लेकर जाए,
बाबा जी को कहना,
आँचल को जल्दी बुलाये,
तरसती हूँ मैं तेरे दरबार को,
जल्दी बुला लो मेरे साईं,
दर्शन देकर अपने मुझे,
मेरी प्यास बुझा दो,
तेरा भोग खाते ही बाबा,
भूख मेरी मिट जाती है,
आरती तेरी करने से,
सब पीड़ा मिट जाती है,
तरसती हूँ मैं तेरे दरबार को,
जल्दी बुला लो मेरे साईं,
दर्शन देकर अपने मुझे,
मेरी प्यास बुझा दो,
तेरा भोग खाते ही बाबा,
भूख मेरी मिट जाती है,
आरती तेरी करने से,
सब पीड़ा मिट जाती है,
जब मैं बैठूँ द्वारकामाई में,
पास मेरे किसी रूप में आ जाना,
अपने प्यारे हाथों से,
पास मेरे किसी रूप में आ जाना,
अपने प्यारे हाथों से,
सिर मेरा सहलाना,
जाऊं जब में गुरुस्थान पर,
माथा टेकूं भोग लगाऊँ,
और प्रसाद रूप में,
मीठे नीम के पत्ते मैं पाऊँ,
माथा टेकूं भोग लगाऊँ,
और प्रसाद रूप में,
मीठे नीम के पत्ते मैं पाऊँ,
बाबा तुम तो हो कृपालु,
कृपा मुझ पर भी कर दो,
बुला लो शिर्डी जल्दी से,
और न अब देर करो !!
कृपा मुझ पर भी कर दो,
बुला लो शिर्डी जल्दी से,
और न अब देर करो !!
एक संदेसा
बाबा की बेटी आँचल साईं