साईं की लीलाओं का,
किसी ने पार न पाया है,
शिर्डी जैसे गाँव को,
बाबा ने स्वर्ग बनाया है,
बाबा जी कहते है,
भेद भाव को दूर करो,
एक परिवार की तरह,
तुम सब मिलकर चलो,
कोई न हिन्दू है न मुस्लिम,
सबका मालिक एक है,
सबका राम एक है और,
सबका रहीम एक है,
भूखों को खाना खिलाकर,
कर्म अच्छे तुम करते जाओ,
जरूरतमंद की मदद करो और,
काम नेक करते जाओ,
कुछ नहीं रहेगा यहाँ,
सब मिटटी में मिल जायेगा,
यह शरीर तुम्हारा,
किसी काम न आएगा,
मानव जन्म मिला है तो,
कर्म कुछ नेक कर लो,
मालिक के पास जाना है,
रूह को अपनी नेक कर लो,
किसी ने पार न पाया है,
शिर्डी जैसे गाँव को,
बाबा ने स्वर्ग बनाया है,
बाबा जी कहते है,
भेद भाव को दूर करो,
एक परिवार की तरह,
तुम सब मिलकर चलो,
कोई न हिन्दू है न मुस्लिम,
सबका मालिक एक है,
सबका राम एक है और,
सबका रहीम एक है,
भूखों को खाना खिलाकर,
कर्म अच्छे तुम करते जाओ,
जरूरतमंद की मदद करो और,
काम नेक करते जाओ,
कुछ नहीं रहेगा यहाँ,
सब मिटटी में मिल जायेगा,
यह शरीर तुम्हारा,
किसी काम न आएगा,
मानव जन्म मिला है तो,
कर्म कुछ नेक कर लो,
मालिक के पास जाना है,
रूह को अपनी नेक कर लो,
बाबा की बेटी
आँचल साईं