ॐ साईं राम
साईं के दरबार में पूरी होती हर कामना,
माथा टेक समाधी पे शुद्ध होती आत्मा,
बाबा प्रेम भक्त से करते है,
उसके हर दुःख हर लेते है,
भटकने से गलत राह पर,
भक्तो को बचा लेते है,
आता है जो दरबार में रोता हुआ,
बाबा उससे हसा के भेजते है,
जिसकी जैसी होती है भावना,
वैसा ही फल देते है,
साईं की लीलाओं का,
किसी ने पार न पाया है,
भक्तो के खातिर बाबा ने,
स्वयं भार उठाया है,
सबकी इच्छा पूरी करते है साईं,
सबका ध्यान रखते है,
बाबाजी अपने भक्तो से,
बहुत प्रेम करते है,
झुका दो अपना शीश तुम भी,
बाबा के पावन चरणों में,
स्वर्ग मिलेगा जीते जी,
बाबाजी के पावन चरणों में!
साईं कृपा हम सब पर बनी रहे!
माथा टेक समाधी पे शुद्ध होती आत्मा,
बाबा प्रेम भक्त से करते है,
उसके हर दुःख हर लेते है,
भटकने से गलत राह पर,
भक्तो को बचा लेते है,
आता है जो दरबार में रोता हुआ,
बाबा उससे हसा के भेजते है,
जिसकी जैसी होती है भावना,
वैसा ही फल देते है,
साईं की लीलाओं का,
किसी ने पार न पाया है,
भक्तो के खातिर बाबा ने,
स्वयं भार उठाया है,
सबकी इच्छा पूरी करते है साईं,
सबका ध्यान रखते है,
बाबाजी अपने भक्तो से,
बहुत प्रेम करते है,
झुका दो अपना शीश तुम भी,
बाबा के पावन चरणों में,
स्वर्ग मिलेगा जीते जी,
बाबाजी के पावन चरणों में!
साईं कृपा हम सब पर बनी रहे!