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Monday, 5 December 2011

दहेज़ प्रथा के खिलाफ एक नारा


ॐ सांई राम



दहेज़ प्रथा के खिलाफ एक नारा


हम अपने मानव जीवन में स्त्री या पुरुष, बाल या प्रौढ़ किसी भी अवस्था में क्यों ना हो ....
 एक बात तो तय है की, या तो हम ईश्वरिये शक्ति को मानते है या नहीं मानते ... 
उस ईश्वरिये शक्ति का कोई मज़हब नहीं, कोई जात नहीं, कोई आकार नहीं, वह तो अनंत है एवं सभी का स्वामी है

परन्तु एक बात हम भूल जाते है की हम सब की रचना करने वाला केवल एक ही है और यदि हमे बनाने वाले ने ही
हमारी रचना में किसी तरह का भेद नहीं किया तो फिर हम ही हमारे रचनाकर्ता के साथ भेद भाव क्यों रखते है ...

किसी भी धर्म या जाती में खून का रंग तो लाल ही होता है |
 आसमान भी किसी धर्म को देख कर अपना रंग तो नहीं बदलता |
वायु मज़हब का फर्क देख कर रुख नहीं बदलती |
 वादियाँ अपनी सुन्दरता में फर्क नहीं आने देती |

पानी हिन्दू-मुसलमान को अपना स्वाद अलग-अलग ज्ञात नहीं करवाता |
 और यही ईश्वरिये क़ानून सिर्फ हिन्दुस्तान में ही नहीं बल्कि सारे संसार में लागू है |

सिर्फ फर्क इतना है की इश्वर के हाथ की कठपुतली बन कर चलने वाला ये मानव शरीर,
स्वयं को ईश्वरिये शक्ति से भी अधिक बलशाली मानता है,
जबकि वो इस बात से भली भाँती परिचित है की उसकी हैसियत मिटटी से अधिक नहीं है बल्कि कई गुना कम ही है |

आज आप अपने इश्वर को साक्षी मान कर अपने आप से वायदा करें की आप भले ही दुनिया के हजारो साल पुरानी,
इस समाज की एक दीवार तो आज गिरा कर ही रहेंगे,
और वह दुनिया की सबसे गन्दी और घिनौनी दीवार है दहेज़ की |

आज आप किसी की बेटी को यदि अपनी बहु के रूप में अपनाने के लिए दहेज़ की मांग कर भी रहे है,
तो यह बात तय है की लगभग उसका दुगना आप को अपनी बेटी के दहेज़ के लिए भी संजो कर रखना पड़ेगा| 

यदि आज कोई अपनी बहु को दहेज़ के कारण जिंदा जला कर या ख़ुदकुशी के लिए मजबूर भी कर रहा है तो यह बात जान लो,
की इश्वर हमारे सभी कर्मो का लेखा-झोखा रखता है और उसके न्याय में ज़रा भी रहम की गुंजाइश नहीं होती....


आज हम आप से बस इतना ही चाहते है बस कुछ पालो के लिए अपने मज़हब को भूल कर,
इस दहेज़ रुपी बिमारी का अंत करने के लिए एक हो जाए.. 


एक युवा मोर्चे का हिस्सा बने, दहेज़ लेने वालों और देने वालो का नाम जग में उजागर करे,
ठीक वैसे ही जैसा की आज कल लोग दुसरो की गाड़ियों की तसवीरें खीच कर फेसबुक पर,
दिल्ली ट्रेफिक पुलिस के पेज पर डालना अपना दायित्व समझते है |
क्या इस बिमारी से भी लड़ना आपका दायित्व नहीं है |

चलो आज देखें की कितने लोगो के जवाब हमारी इस आवाज़ के हक में आते है |
 हम एक है, तो नेक क्यों नहीं |


दहेज़ के खिलाफ हमारी आवाज़ .....

साडा हक...
ऐथे रख !!

अपना जिगर का टुकड़ा देना दहेज़ देने से लाखो गुणा ऊँचा फैसला है ||

हमारा उद्देश्य किसी की निजी सोच को ठेस पहुचना बिलकुल नहीं है और यदि हमारी सोच से किसी को कोई आपत्ति है तो ...
हम क्षमाप्रार्थी है..
पर आइना सच्चा चेहरा ही दिखाता है ...

 Kindly Provide Food & clean drinking Water to Birds & Other Animals,
This is also a kind of SEWA.


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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.