ॐ साईं राम
आज न जाने क्यों मन अशांत है,
साईं से मिलने की आस है,
शिर्डी जाना चाहूं पर,
कुछ मजबूरियां मेरे साथ है,
बाबा के सिवा कुछ न चाहूं मैं,
बस बाबा के पास ही रहना चाहूं मैं,
सेवा करू साईं चरणों की,
दुनिया को भूल जाऊं मैं,
साईं के प्यारे माथे पर,
चन्दन लगाना चाहूं मैं,
बाबा के पावन चरणों पर,
फूल चढ़ाना चाहूं मैं,
बाबा के लिए भोग बनाना चाहूं में,
भोग में बाबा की पसंदिता,
पूरनपोली, और कचौहरी,
बनाना चाहूं मैं,
कर दो कृपा मेरे देवा,
ये इतना सा बस मांगूं मैं,
तेरी सेवा के बदले,
तुझसे कुछ न चाहूं में,
आज ना जाने क्यों मन अशांत है,
साईं से मिलने की आस है,
शिर्डी जाना चाहूं पर,
कुछ मजबूरियां मेरे साथ है
साईं से मिलने की आस है,
शिर्डी जाना चाहूं पर,
कुछ मजबूरियां मेरे साथ है,
बाबा के सिवा कुछ न चाहूं मैं,
बस बाबा के पास ही रहना चाहूं मैं,
सेवा करू साईं चरणों की,
दुनिया को भूल जाऊं मैं,
साईं के प्यारे माथे पर,
चन्दन लगाना चाहूं मैं,
बाबा के पावन चरणों पर,
फूल चढ़ाना चाहूं मैं,
बाबा के लिए भोग बनाना चाहूं में,
भोग में बाबा की पसंदिता,
पूरनपोली, और कचौहरी,
बनाना चाहूं मैं,
कर दो कृपा मेरे देवा,
ये इतना सा बस मांगूं मैं,
तेरी सेवा के बदले,
तुझसे कुछ न चाहूं में,
आज ना जाने क्यों मन अशांत है,
साईं से मिलने की आस है,
शिर्डी जाना चाहूं पर,
कुछ मजबूरियां मेरे साथ है
बाबा की बेटी
आँचल साईं