ॐ साईं माँ
माँ दर्शन की अभिलाषा ले हम द्वार तुम्हारे आए हैं
एक झलक ज्योति की पाने सपने ये नैन सजाए हैं
पूजा की रीति विधानों का माता है हमको ज्ञान नहीं
पाने को तुम्हारी कृपादृष्टि के सिवा दूसरा ध्यान नहीं
फल चंदन माला धूप-दीप से पूजन थाल सजाएँ हैं
दरबार तुम्हारे आए हैं, माँ द्वार तुम्हारे आए हैं
जीवन जंजालों में उलझा, मन द्विविधा में अकुलाता है
भटका है भूल-भुलैया में निर्णय नहीं कर पाता है
माँ आँचल की छाया दो हमको, हम माया में भरमाए हैं
दरबार तुम्हारे आए हैं, हम द्वार तुम्हारे आए हैं
जिनका न सहारा कोई माँ, उनका तुम एक सहारा हो
दुखिया मन का दु:ख दूर करो, सुखमय संसार हमारा हो
आशीष दो माँ उन भक्तों को जो, तुम से आश लगाए हैं
दरबार तुम्हारे आए हैं, सब द्वार तुम्हारे आए हैं।
एक झलक ज्योति की पाने सपने ये नैन सजाए हैं
पूजा की रीति विधानों का माता है हमको ज्ञान नहीं
पाने को तुम्हारी कृपादृष्टि के सिवा दूसरा ध्यान नहीं
फल चंदन माला धूप-दीप से पूजन थाल सजाएँ हैं
दरबार तुम्हारे आए हैं, माँ द्वार तुम्हारे आए हैं
जीवन जंजालों में उलझा, मन द्विविधा में अकुलाता है
भटका है भूल-भुलैया में निर्णय नहीं कर पाता है
माँ आँचल की छाया दो हमको, हम माया में भरमाए हैं
दरबार तुम्हारे आए हैं, हम द्वार तुम्हारे आए हैं
जिनका न सहारा कोई माँ, उनका तुम एक सहारा हो
दुखिया मन का दु:ख दूर करो, सुखमय संसार हमारा हो
आशीष दो माँ उन भक्तों को जो, तुम से आश लगाए हैं
दरबार तुम्हारे आए हैं, सब द्वार तुम्हारे आए हैं।
प्रस्तुत कर्ता :
बाबा की बेटी साईं प्रिया जी
-: आज का साईं सन्देश :-
बाबाजी की कृपा हो,
मनदीपक जल जाय |
सुबह सुबह जो भक्तगण,
काकड़ आरती गाय ||
बाबाजी पीड़ा हरें,
उदी रोग मिटाय |
मन अंधियारा दूर कर.
साईं दीप जलाय ||