कष्ट भक्तों के टालती चली
पालकी पे सवार, पहने फूलों के हार
क्या सुन्दर लगे मखमली
पालकी में भक्तों के बाबा विराजे
बाबा के माथे पे चंदा है साजे
कण कण महके है, उपवन महके है
मन की खिलने लगी हर कली
बाबा की मेरे है महिमा निराली
जिसने जो माँगा, वो लौटा न ख़ाली
कितनी मंगलमय, शुभ बेला आई
साईं भक्तों को लागे भली
मतवाले भक्तों को देखो साईं महिमा गाते कभी इधर से कभी उधर से,
ढोली ढोल बजाते वो अन्तर्यामी मंद मंद मुस्काए रे
ढोली ढोल बजाते वो अन्तर्यामी मंद मंद मुस्काए रे
यह भजन बाबा की बेटी साईं प्रिया जी के द्वारा बाबा के चरणों में ।
-: आज का साईं सन्देश :-
चाकी के दो पाट में,
भक्ति कर्म बताय ।
मुठिया जिस से पीसते,
उसमे ज्ञान समाय ।।
भक्ति कर्म बताय ।
मुठिया जिस से पीसते,
उसमे ज्ञान समाय ।।
अहम् भाव द्वेष और,
आसक्ति अधिकाय ।
हो जावें जब दूर ये,
आत्म ज्ञान प्रगटाय ।।
श्री सद्गुरु साईंनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।
आसक्ति अधिकाय ।
हो जावें जब दूर ये,
आत्म ज्ञान प्रगटाय ।।
श्री सद्गुरु साईंनाथार्पणमस्तु । शुभं भवतु ।।