बाबा :- क्यूँ दुखी होती है मैं जब तेरे साथ हूँ क्यूँ धीरज खोती है
मैं बोली :- बाबा जानती हूँ तुम आस पास हो फिर भी ये दिल चिंतित होता है
कर्मो के चक्कर में पड़कर ये दिल धीरज खोता है
बाबा :- श्रद्धा और सबुरी ये मंत्र मैने सबको सिखाया है ये मत सोच तुने क्या खोया है
ये सोच के क्या क्या पाया है
मैं बोली :- बाबा मुझको तो बस साईं शरण ही प्यारी है
सबको भूल चुकी हूँ बस एक आस तुम्हारी है
तुम मुझसे रूठ जाओ बाबा ऐसा कभी न करना
तुम मुझसे दूर जाओ बाबा ऐसा कभी न करना
मैं बुला बुला के हारूँ तुम को हर दम पुकारूँ
तुम फेर लो मुँह अपना ऐसा कभी न करना
मैं अनजाने में कुछ गलत कर दूं
तुम राह दीखाना मुझको मैं उसी राह पे चलूंगी
तुम पास आकर मेरे मुझे न बुलाओ ऐसा कभी न करना
यह अत्यंत सुंदर पंक्तियाँ बाबा की पुत्री काजल जी द्वारा बाबा जी के श्री चरणों में भेंट की गईं |
श्री बाबा जी से हमारी विनय पूर्वक प्रार्थना है की बाबा जी अपना शुभ आशीर्वाद काजल जी पर सदा बनाए रखें |
-: आज का साईं सन्देश :-
नमन करें उन भक्त को,
साईं चरित सुनाय |
शांत चित से बैठ कर,
अमृत पान कराय ||
नमते साईनाथ को,
दत्तात्रय अवतार |
ब्रम्हा सत्य मिथ्या जगत,
बतलावे करतार ||