ॐ साईं राम
साईं जो मैं कहती हूँ तुमसे तुम उसको क्यों नहीं सुनते हो
पर मैं जो कुछ न कह पाऊं कैसे समझ जाते हो
तुमसे कितना प्यार है मुझको ये मैं रोज़ ही कहती हूँ
पर क्यूँ है तुमसे प्यार ये कैसे समझ जाते हो
तुमसे मैं रोज़ कहूँ अपनी बद्क्स्मती के किस्से
पर मेरी किस्मत मैं क्या है ये केसे समझ जाते हो
तुमसे मैं रोज़ कहती हूँ अपने गुनाहों की दास्ताँ
पर उन गुनाहों को माफ़ करना तुम कैसे समझ जाते हो
साईं जो मैं कहती हूँ तुमसे तुम उसको क्यों नहीं सुनते हो
पर मैं जो कुछ न कह पाऊं केसे समझ जाते हो
विशेष आभार
बाबा की बेटी साईं काजल जी
बाबा की कृपा सदा बनी रहे |