ॐ साईं राम
दया करो शिर्डी के साईं, हमको हर पल है साईं आसरा तुम्हारा
दया करो शिर्डी के साईं, नहीं कोई तेरे सिवा और है हमारा
दया करो शिर्डी के साईं, नहीं है और कहीं हाल-ए दिल सुनाना
दया करो शिर्डी के साईं, नहीं है और कहीं हमने सर झुकाना
सुनी है जिस तरह हज़ारों की, सुन से फ़रियाद अब वैसे ही हमारी
हंसा दे अब तो हमको दो घड़ी, के रोते हमने सारी उम्र है गुज़ारी
चली हैं आंधियाँ जो ग़म की, कहीं उड़ जाएँ न इस आशियाँ के तिनके
तेरा जो नाम लेते हर घड़ी, बनो रखवाले साईं आप आ के उनके
दीये तूने पानी से जलाये थे, तू ऐसा जादू कोई हमको भी दिखा दे
हमारी राहों में जो बिखरे, हे साईं फूल उन काँटों को बना दे
घेरा हुआ पतझड़ ने जिस को, वहां पे साईं मेरे फिर बहार ला दे
देके हमें रहमतों की रौशनी, अँधेरे जिंदगी के सारे ही मिटा दे
दिया है लाखों को सहारा, हमारा हाथ भी ये थाम ले ओ साईं
तुम तो हो बड़े ही रहमदिल, सुनते अब क्यों नहीं हमारी ये दुहाई
तुम से सब पाते हैं मुरादें, फिर क्यों ये झोलियाँ तरसती हमारी
सोये हुए भाग्य ये जगा दो, के शान और भी बढ़ जायेगी तुम्हारी