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शिर्डी से सीधा प्रसारण ,... "श्री साँई बाबा संस्थान, शिर्डी " ... के सौजन्य से... सीधे प्रसारण का समय ... प्रात: काल 4:00 बजे से रात्री 11:15 बजे तक ... सीधे प्रसारण का इस ब्लॉग पर प्रसारण केवल उन्ही साँई भक्तो को ध्यान में रख कर किया जा रहा है जो किसी कारणवश बाबा जी के दर्शन नहीं कर पाते है और वह भक्त उससे अछूता भी नहीं रहना चाहते,... हम इसे अपने ब्लॉग पर किसी व्यव्सायिक मकसद से प्रदर्शित नहीं कर रहे है। ...ॐ साँई राम जी...

Tuesday, 22 November 2011

चिट्ठीये नी चिट्ठीये

ॐ साईं राम
चिट्ठीये नी चिट्ठीये बाबा दे द्वारे जा, बाबा दे द्वारे जा के दुखड़े तू मेरे सुना

चिट्ठीये नी चिट्ठीये दुखां नाल लिखिये, 
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं ,
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं 

रो रो के वक्त लंगावां मैं, एहना गमां तों न मर जावां मैं
मैं मर चल्ली सरकार, आखीं मेरे बाबा नूं 
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
ओ करो नज़रे-करम इक वार, आखीं मेरे बाबा नूं 

सीधी बाबा दे कोल जावीं तूं, ओथे मेरी अर्ज़ पुचावीं तूं 
तेरे करम दी मैं हक़दार, आखीं मेरे बाबा नूं
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
करो नज़रे-करम इक वार, आखीं मेरे बाबा नूं

तेरे जेहा न कोई होर मैनू, बाबा तेरे करम दी लोड़ मैनु
तेरा मिल जावे बस प्यार, आखीं मेरे बाबा नूं 
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
करो नज़रे-करम इक वार, आखीं मेरे बाबा नूं 

मैं तां सदका अली दा मंगेया ऐ, तुसी बाबा सब नु रंगेया ऐ
रंगों मैनु वी सरकार, आखीं मेरे बाबा नूं
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं

मैनु मेरी किस्मत मार गई, जग जीत गया मैं हार गई
मेरा उजड़ गया घर-बार, आखीं मेरे बाबा नूं
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं

आखीं जो जो मेरे नाल बीती ऐ, किसे चंगी न मेरे नाल कीती ऐ
इक तूं मेरा ग़मखार आखी मेरे बाबा नूं 
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
करो नज़रे-करम इक वार, आखीं मेरे बाबा नूं

आखी जाके दुःख नीमाणी दा, पता लै लै हुण मरजाणी दा
जिन्द कल्ली दुःख हज़ार, आखीं मेरे बाबा नूं
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं

दुखां दी भरी ए चिट्ठी ए, अरदास तेरे वाल लिखी ए 
पावीं जिंदगी विच बहार, आखीं मेरे बाबा नूं
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं

चिट्ठीये नी चिट्ठीये दुखां नाल लिखिये, 
जावीं बाबा दे दरबार आखीं मेरे बाबा नूं
खोलो मेरे वी नसीब सरकार आखीं मेरे बाबा नूं
करो नज़रे-करम इक वार, आखीं मेरे बाबा नूं 
 





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एक 18 साल का लड़का ट्रेन में खिड़की के पास वाली सीट पर बैठा था. अचानक वो ख़ुशी में जोर से चिल्लाया "पिताजी, वो देखो, पेड़ पीछे जा रहा हैं". उसके पिता ने स्नेह से उसके सर पर हाँथ फिराया. वो लड़का फिर चिल्लाया "पिताजी वो देखो, आसमान में बादल भी ट्रेन के साथ साथ चल रहे हैं". पिता की आँखों से आंसू निकल गए. पास बैठा आदमी ये सब देख रहा था. उसने कहा इतना बड़ा होने के बाद भी आपका लड़का बच्चो जैसी हरकते कर रहा हैं. आप इसको किसी अच्छे डॉक्टर से क्यों नहीं दिखाते?? पिता ने कहा की वो लोग डॉक्टर के पास से ही आ रहे हैं. मेरा बेटा जनम से अँधा था, आज ही उसको नयी आँखे मिली हैं. #नेत्रदान करे. किसी की जिंदगी में रौशनी भरे.