ॐ साईं राम
हे देवा ! हमारी आपसे हाथ जोड़ कर विनती है कि हमें कभी भी अपने चरण कमलों से दूर मत करना | आपके चरण कमलों की धूल का चरणामृत सदा प्राप्त होता रहे | इन चरण कमलों की रज सदा अपने मस्तक पर सजाते रहें, और मरणोपरांत इन चरण कमलों में ही लीन हो जाएँ | हे गुरुवर, इस कलयुग ने हम सब में स्वार्थ उत्पन कर दिया है | चारों तरफ लालच और स्वार्थ की कालिमा ने अपना जाल डाल रखा है | कलयुग के प्रभाव के कारण भाई भाई नहीं रहा, पुत्र पिता को पिता नहीं समझता, माँ को माँ नहीं समझता | इस कलयुग ने हम सब प्राणियों के मन ही बदल दिए हैं प्रभु | हम सब को अपने चरणों का अमृत पिलाते रहिएगा | देवा ! आप ही हमारा एकमात्र सहारा हो | प्रभु अगर आप की सच्ची भक्ति मिल जाए तो इस जीवन से कलयुग रुपी अँधेरा सदा के लिए शांत हो जाएगा और आप की भक्ति हमें इस भावसागर से पार उतार देगी |
|| गुर का दरसन देख देख जीवां, गुर के चरण धोये धोये पीवां ||
"श्री सच्चिदानंद सद्गुरु श्री साईं नाथ महाराज की जय"